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    देश भर में फोन पर मिलेगी मुफ्त डॉक्टरी सलाह

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Tue, 22 Nov 2016 11:58 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने टोल फ्री नंबर पर फोन के जरिए यह सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है।

    नई दिल्ली, (मुकेश केजरीवाल)। जल्दी ही देश भर के लोगों को अपनी सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रमाणिक डॉक्टरी सलाह घर बैठे मिल सकेगी। केंद्र सरकार ने टोल फ्री नंबर पर फोन के जरिए यह सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सेवा हिंदी और अंग्रेजी सहित कुल 23 भाषाओं में होगी और साल के सभी दिन चौबीसों घंटे लोग सलाह ले सकेंगे। पहले चरण से ही इसमें पांच सौ परामर्शदाता काम कर रहे होंगे। सरकार को उम्मीद है कि इस सेवा के शुरू होने के बाद सरकारी अस्पतालों का बोझ काफी कम हो सकेगा।

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    स्वास्थ्य मंत्रालय की 'डॉक्टर ऑन कॉल' योजना के तहत टोल फ्री नंबर 1075 पर देश के किसी भी हिस्से से फोन कर लोग अपनी सामान्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान पा सकेंगे। कॉल सेंटर पर डॉक्टर जैसे ही दवा की सलाह देगा उस दवा का नाम और खुराक का ब्योरा तुरंत मरीज के मोबाइल नंबर पर भी पहुंच जाएगा, जिसे कॉल रिसीव करते समय दर्ज किया गया था।

    पहले चरण में यहां डॉक्टर सिर्फ ऐसी दवा की ही सलाह देंगे जो बिना डॉक्टरी पर्चे के बाजार में खरीदी जा सकती है। लेकिन अगले चरण में मोबाइल पर्चे या प्रिस्किप्शन को भी मंजूरी देने का विचार किया जा रहा है। इसी तरह मरीज अगर चाहता है तो उसके सारे ब्योरे उसके इलाके की स्वास्थ्य कार्यकर्ता और सरकारी नर्स (एएनएम) को भी भेज दिए जाएंगे। ताकि वह आगे की मदद के लिए उससे संपर्क कर सके।

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    यह मुफ्त सेवा चलाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय निजी एजेंसियों की पहचान कर रहा है। मंत्रालय के तहत काम करने वाले सेंटर फॉर हेल्थ इन्फोर्मेटिक्स (सीएचआइ) ने इसके लिए 21 अक्तूबर को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी कर निजी एजेंसियों से निविदा मंगवा ली है जिन पर विचार किया जा रहा है। इसी टोल फ्री नंबर पर बच्चों के टीकाकरण और टीबी या एड्स नियंत्रण जैसे सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी भी मिलेगी। इसी तरह नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों के अलावा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और एएनएम के बारे में भी लोगों को सूचना मिलेगी। 500 सीटों वाले कॉल सेंटर से इसकी शुरुआत जाएगी, जिसे अगले तीन साल के अंदर 600 सीटों तक बढ़ा दिया जाएगा।

    आपातकालीन स्थिति में फंसे लोगों के फोन को सीधे एलोपैथिक डॉक्टर को दे दिया जाएगा जबकि अन्य मरीजों को आयुर्वेद और होमियोपैथ का विकल्प भी दिया जाएगा। इस नंबर पर काउंसलिंग सेवा भी उपलब्ध होगी, जिसका खास फायदा तंबाकू या नशा छोड़ने के इच्छुक लोग या अवसाद के मरीजों को मिल सकेगा।

    फोन उठाएगा कौन?

    1. पहले स्तर पर रजिस्ट्रेशन एजेंट होंगे। इनका काम मरीज का नाम, मोबाइल नंबर जैसे ब्योरे लिख कर उनका रजिस्ट्रेशन करना होगा।

    2. दूसरे स्तर पर नर्सिग और मेडिकल स्टाफ होंगे। ये समस्या को समझेंगे। मरीज को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए जैसी सामान्य सलाह देंगे।

    3. तीसरे स्तर पर डॉक्टर और मेडिकल प्रैक्टिशनर होंगे। जो जरूरत के मुताबिक दवा और इलाज बताएंगे।

    1. सरकार का आकलन है कि प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों (पीएचसी) में आने वाले 85 फीसदी लोगों को सिर्फ उसके लक्षण देख कर इलाज किया जा सकता है इनमें से बहुत से लोगों का इलाज ऐसे कॉल सेंटर के जरिए आसानी से हो सकता है।

    2. बहुत से लोगों को अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र जाने में धन और कीमती समय बर्बाद करना पड़ता है, जिसकी जरूरत नहीं होगी।

    3. आपातकालीन स्थिति में कई बार डॉक्टर और नर्स उपलब्ध नहीं होते। जबकि यह सेवा चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेगी।

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