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    Manmohan Singh: सियासी उतार-चढ़ाव, मनमोहन सिंह के जीवन की वो पांच घटनाएं; जिनसे व्यथित हुए थे पूर्व पीएम

    Updated: Fri, 27 Dec 2024 09:49 AM (IST)

    भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर की रात करीब 9 निधन हो गया। मनमोहन सिंह के जीवन में होने वाले ऐसे पांच किस्से जिनके कारण सार्वजनिक तौर पर उनकी प्रतिष्ठा और उनके पद को कमतर दिखाने की कोशिश की गई। लेकिन फिर भी देश के लिए जीने और मरने की कसम खाने वाले मनमोहन सिंह ने देश हित में अपमान के ये घूंट भी चुपचाप पी लिए।

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    मनमोहन सिंह के जीवन की वो पांच घटनाएं, जिनसे आहत हुए थे पूर्व पीएं (फोटो- ANI)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 10 साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। 92 साल के मनमोहन उम्र संबंधित गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे।

    आज हम बात करने जा रहे हैं मनमोहन सिंह के जीवन में होने वाली ऐसी पांच घटनाओं के बारे में जब सार्वजनिक तौर पर उनकी प्रतिष्ठा और उनके पद को कमतर दिखाने की कोशिश की गई। लेकिन फिर भी देश के लिए जीने और मरने की कसम खाने वाले मनमोहन सिंह ने देश हित में अपमान के ये घूंट भी चुपचाप पी लिए। यही कारण है कि प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद मनमोहन सिंह ने इतिहास के अपने प्रति उदार होने की बात कही थी।

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    2जी-कोयला घोटाला पर घिरे

    यूपीए सरकार के कार्यकाल में महंगाई, 2जी, टेलीकॉम, कोयला घोटाला सामने आए। इसके चलते उनकी सरकार की आलोचना हुई। विपक्ष के निशाने पर रहे। इन घोटालों की वजह से ही 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।

    राजीव गांधी ने दी थी जोकर आयोग की उपाधि

    ये किस्सा साल 1986 का है। जब राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष। मनमोहन प्रधानमंत्री को विकास को लेकर एक प्रजेंटेशन दे रहे थे। तभी राजीव ने उन्हें फटकार लगा दी। मनमोहन का प्रजेंटेशन ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकास को लेकर था। अगले दिन जब इसको लेकर राजीव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने योजना आयोग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

    राजीव ने कहा कि योजना आयोग एक जोकर आयोग है। कहा जाता है कि मनमोहन राजीव की इस टिप्पणी से बहुत ही ज्यादा नाराज हुए थे। उन्होंने इस्तीफा देने की भी ठान ली थी, लेकिन दोस्तों की समझाइश और देशहित में पद पर बने रहे।

    हालांकि, पूरे कार्यकाल में वे साइड लाइन ही रहे। आखिर में 31 अगस्त 1987 को वे इस पद से मुक्त हो गए।

    एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर भी कहा गया

    डॉ. मनमोहन सिंह को एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर भी कहा गया। 2019 में 'चेंजिंग इंडिया' पुस्तक के लॉन्च पर डॉ. सिंह ने कहा, 'मुझे एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री कहा जाता है, पर मैं एक्सीडेंटल वित्त मंत्री भी था। 2019 में इसी नाम से फिल्म आई। यह संजय बारू की किताब पर बनी थी।

    अध्यादेश लाए, राहुल गांधी ने फाड़ा

    2013 में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधियों की एंट्री रोकने के लिए एक फैसला सुनाया। इसके तहत 2 साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले राजनेताओं की सदस्यता रद्द और सजा से 6 साल ज्यादा वक्त तक चुनाव न लड़ने का फैसला सुनाया गया।

    मनमोहन सिंह की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया। कैबिनेट से इस संबंध में अध्यादेश भी पास करा लिया गया।

    इसी बीच विपक्ष और कुछ एक्टिविस्टों ने इस अध्यादेश का विरोध किया। मीडिया में भी अध्यादेश के विरोध में खबरें चलने लगी। इसी बीच पत्रकारों ने राहुल गांधी से इसको लेकर सवाल पूछा, जिसके जवाब में राहुल ने सड़क पर ही अध्यादेश फाड़ने की बात कही।

    कहा जाता है कि राहुल के इस बयान से मनमोहन काफी आहत हुए थे।

    सिख दंगों पर मनमोहन सिंह ने मांगी थी माफी

    डॉ. मनमोहन सिंह ने 12 अगस्त 2005 को लोकसभा में 1984 के सिख दंगों के लिए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था, देश में उस समय जो कुछ हुआ, उसके लिए शर्म से अपना सिर झुकाता हूं।

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