पूर्व DPIIT सचिव रमेश अभिषेक की फाइल गायब; कंपनियों से पैसे लेने के आरोप, लोकपाल ने ईडी को सौंपी जांच
लोकपाल कानून के तहत किसी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ जांच की गोपनीयता की शर्त के कारण कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार डीपीआइआइटी के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक के खिलाफ सेवानिवृति के बाद 2020 से 2022 के बीच करोड़ों रुपये कंपनियों से मिलने की शिकायत लोकपाल को की गई थी। ईडी को शिकायतों की गोपनीय जांच का आदेश दिया था।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) के पूर्व सचिव और फारवर्ड मार्केट ट्रेडिंग के पूर्व अध्यक्ष रमेश अभिषेक की फाइल गुम हो गई है। इसके कारण ईडी उनके खिलाफ पद का दुरुपयोग कर कंपनियों की मिलीभगत से अवैध कमाई की जांच शुरू नहीं कर पा रही है। लोकपाल की बेंच ने इसी साल तीन जनवरी को अपने आदेश में रमेश अभिषेक के खिलाफ मिले शुरूआती साक्ष्यों की गंभीरता को देखते हुए ईडी को खुली जांच का आदेश दिया था।
कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं
लोकपाल कानून के तहत किसी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ जांच की गोपनीयता की शर्त के कारण कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार डीपीआइआइटी के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक के खिलाफ सेवानिवृति के बाद 2020 से 2022 के बीच करोड़ों रुपये कंपनियों से मिलने की शिकायत लोकपाल को की गई थी। लोकपाल ने ईडी को इन शिकायतों की गोपनीय जांच का आदेश दिया था।
करोड़ों रुपये कई कंपनियों से लेने की पुष्टि
18 नवंबर 2022 को सौंपे अपनी रिपोर्ट में ईडी ने रमेश अभिषेक के दो करोड़ 39 लाख रुपये कई कंपनियों से लेने की पुष्टि की, इनमें 68 लाख रुपये ईयान कंसल्टेंसी एलएलपी, लुलु इंटरनेशनल, एमवे इंडिया और वन97 कंम्युनिकेशन से लिये गए थे। ईडी की इसी रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए लोकपाल ने रमेश अभिषेक के खिलाफ खुली जांच शुरु करने का आदेश दिया था। लेकिन ईडी की रिपोर्ट में सबसे दिलचस्प उल्लेख रमेश अभिषेक की फाइल गुम होने की है, जिसके कारण कंपनियों के साथ हितों के टकराव (कंफ्लीक्ट आफ इंटरेस्ट) की जांच मुश्किल हो गई है।
क्रियाकलापों से संबंधित फाइल गायब
दरअसल 1982 बैच के बिहार कैडर के आइएएस रमेश अभिषेक 21 सितंबर 2012 से 28 अक्टूबर 2015 तक फारवर्ड मार्केट कमीशन के चेयरमैन और 22 फरवरी 2016 से 31 जुलाई 2019 तक डीपीआइआइटी के सचिव थे। हैरानी की बात है कि फारवर्ड मार्केट कमीशन के चेयरमैन के रूप में उनके क्रियाकलापों से संबंधित फाइल गायब है।
आर्थिक मामलों के विभाग ने दो जून 2022 को पत्र लिखकर ईडी को बताया कि फारवर्ड मार्केट कमीशन का विलय 29 सितंबर 2015 को सेबी में हो गया था। लेकिन सेबी ने सिर्फ फारवर्ड मार्केट कमीशन के कर्मचारियों के निजी रिकार्ड ही आर्थिक मामलों के विभाग को भेजा, उनके क्रियाकलापों से संबंधित कोई फाइल नहीं भेजी गई। इसके बाद ईडी ने सेबी को पत्र लिखकर फाइलें तलब की। लेकिन 31 अगस्त 2022 को सेबी ने ईडी को बताया कि उसके पास रमेश अभिषक के क्रियाकलापों से संबंधित कोई फाइल नहीं है। सूत्रों के अनुसार संबंधिक फाइल के गायब होने से उनके द्वारा लिए गए फैसलों और कंपनियों के साथ उनके रिश्तों की पड़ताल मुश्किल हो गई है।