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    'आत्मनिर्भर बनें ग्लोबल साउथ के देश', विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कोविड महामारी का जिक्र कर चेताया

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Fri, 17 Nov 2023 09:00 PM (IST)

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ग्लोबल साउथ सम्म्लेन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। वहीं पीयूष गोयल ने कहा कि सप्लाई चेन को निर्बाध बनाने को लेकर सदस्य देशों के बीच सहयोग जरूरी है जबकि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र ने कहा कि भारत की शिक्षा नीति से ग्लोबल साउथ के देश सीख ले सकते हैं।

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    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- आत्मनिर्भर बनें ग्लोबल साउथ के देश (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शुक्रवार को दिन भर चले ग्लोबल साउथ सम्मेलन में भारत ने इन देशों के अगुवा के तौर पर किस तरह से आर्थिक व सामाजिक विकास की राह तय की जाए, इसका रास्ता दिखाने की कोशिश की। सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इन देशों को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी। कोविड महामारी के समय की याद दिलाते हुए जयशंकर ने कहा कि हर देश को यह सीख लेनी चाहिए कि अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए दूर स्थित किसी देश पर निर्भरता के कितने ज्यादा खतरे हैं।

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    'बहुराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दों को उठाएं ग्लोबल साउथ के देश'

    जी-20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ देशों के हितों की बात पहली बार उठाये जाने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि अभी भी इन देशों के हितों के मु्द्दे पर काफी विरोध सहन करना पड़ता है। ऐसे में इस समूह के सभी देशों को एक साथ मिल कर अपने हितों के मुद्दों को बहुराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए।

    'सप्लाई चेन को लेकर ग्लोबल साउथ के देश करें बातचीत'

    सम्मेलन के एक दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ग्लोबल साउथ के देशों के बीच सप्लाई चेन के मामले में ज्यादा सहयोग स्थापित करने के लिए बातचीत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महामारी, जलवायु परिवर्तन और भूराजनैतिक हालात की वजह से वैश्विक सप्लाई चेन की स्थिति पर काफी गहरा असर पड़ा है। इससे खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा को लेकर संकट पैदा हो गया है। 

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    'ग्लोबल वैल्यू चेन की मैपिंग की जाए'

    पीयूष गोयल ने कहा कि भारत चाहता है कि इस बारे में ग्लोबल साउथ के देशों के बीच ज्यादा संपर्क हो ताकि एक टिकाऊ व भरोसेमंद सप्लाई चेन की स्थापना हो सके। जी-20 शिखर सम्मेलन में भी भारत ने ऐसी ही कोशिश की है। यह फैसला किया गया है कि ग्लोबल वैल्यू चेन की मैपिंग की जाए। यानी सप्लाई चेन में हर देश की भूमिका का अध्ययन किया जाए व उसके हिसाब से आगे की रणनीति बनाई जाए। इससे ज्यादा लोगों को संपन्न भी बनाया जा सकेगा।

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    'NEP से काफी कुछ सीख सकते हैं ग्लोबल साउथ के देश'

    इसी तरह से सम्मेलन के एक दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए शिक्षा व कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि भारत की नई शिक्षा नीति (एनइपी) से ग्लोबल साउथ के देश काफी कुछ सीख सकते हैं। भारत अपनी शिक्षा व कौशल विकास से जुड़े अनुभव को इन देशों के साथ साझा करने को तैयार है।