Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    14 माह की बेटी को बचाने के लिए चाहिए 22 करोड़ का इंजेक्शन, मदद की गुहार, जानें- क्या है बीमारी

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Sun, 14 Feb 2021 11:09 PM (IST)

    अपोलो के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। इसकी एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाले जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। निर्माता कंपनी ने इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये रखी है।

    Hero Image
    जिदंगी और मौत के बीच झूल रही है सृष्टि

    बिलासपुर, जेएनएन। बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में जिदंगी और मौत से जंग लड़ रही 14 माह की सृष्टि दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप वन (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) से ग्रसित है। इसे बचाने के लिए स्विट्जरलैंड में नोवार्टिस कंपनी की ओर से निर्मित जोल्जेंसमा इंजेक्शन की जरूरत है। इसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है। इसमें साढ़े छह करोड़ का आयात शुल्क शामिल है। मासूम की जान बचाने के लिए पिता ने पूरे देश से मदद की गुहार लगाई है। सृष्टि के पिता सतीश कुमार मूलत: झारखंड के पलामू जिले के ग्राम कांके कला सिक्की के रहने वाले हैं। वे छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दीपका स्थित एसईसीएल में कार्यरत हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने बताया कि उनकी बेटी सृष्टि का जन्म 22 नवंबर 2019 को हुआ। चार-पांच महीने तक सब सामान्य रहा। इसके बाद अचानक सृष्टि के हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि गर्दन सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। इलाज के लिए किसी बड़े विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी। इस पर उन्होंने जून 2020 में रायपुर में न्यूरोलाजिस्ट से जांच कराई, पर समस्या का पता नहीं चला। कई विशेषज्ञों को दिखाने के बाद भी सृष्टि की बीमारी पकड़ में नहीं आई। उसकी हालत बिगड़ती गई। दिसंबर में उसे वेल्लूर (तमिलनाडु) ले जाया गया। जहां एसएमए टाइप वन टेस्ट किया गया। इसकी रिपोर्ट आने में समय लगता है। इस बीच 30 दिसंबर को सृष्टि की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची को वेंटिलेटर में रखा गया। 23 जनवरी को वेल्लूर से मिली रिपोर्ट में सृष्टि के एसएमए टाइप वन से ग्रसित होने की पुष्टि हुई। यह दुर्लभ बीमारी है। इसे बचाने के लिए जोल्जेंसमा इंजेक्शन चाहिए। इसकी कीमत 16 करोड़ है।

    इतना महंगा क्यों है यह इंजेक्शन

    अपोलो के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि जीन थैरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। इसकी एक डोज से पीढ़ियों तक पहुंचने वाले जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। निर्माता कंपनी ने इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपये रखी है।

    क्या है एसएमए टाइप वन

    स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित कर देता है। इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है। इस बीमारी की वजह से शरीर की सभी मासपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। हाथ पैर-काम करना बंद कर देता है और पीड़ित की मौत हो जाती है।

    देशभर में पांच बच्चे वेंटिलेटर पर

    सृष्टि के पिता सतीश कुमार ने बताया कि अभी इस बीमारी से पीड़ित देश में सृष्टि समेत पांच बच्चे वेंटिलेटर पर हैं। मुंबई में भर्ती बच्चे के लिए लोगों ने 16 करोड़ रुपये की व्यवस्था कर ली है। वहीं सरकार ने साढ़े छह करोड़ का आयात शुल्क भी माफ कर दिया है। लेकिन इस इंजेक्शन को आने में अभी भी एक महीने का समय लगेगा। वहीं सृष्टि के अलावा अन्य तीन बच्चों के लिए अभी तक इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हो सकी है।

    ये हैं बीमारी के लक्षण

    इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं। शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने और सांस लेने में दिक्कत होती है। मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि बच्चा हिल भी नहीं पाता है। धीरे-धीरे कमजोरी इतनी बढ़ जाती है कि सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।