कर आधार को व्यापक बनाने पर दिया जाए ध्यान, रिपोर्ट में दी गई छह सूत्रीय सलाह
रिपोर्ट में प्रत्यक्ष कर आधार को व्यापक बनाने, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने और विकास को तेज करने के लिए उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर र ...और पढ़ें

शोध संस्थान 'थिंक चेंज फोरम' ने जारी की रिपोर्ट।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्यक्ष कर आधार को व्यापक बनाने, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने तथा वृद्धि को और तेज करने के लिए उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर रखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
भारत की नई कराधान विचारधारा का स्वरूप: सरलीकरण, संतुलन एवं वृद्धि' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी सुधारों से यह स्पष्ट हुआ है कि मजबूत राजस्व वृद्धि के साथ-साथ कर व्यवस्था का सरलीकरण एवं कर दरों में संतुलन संभव है। इससे लंबे समय से जारी इस धारणा को चुनौती मिली है कि कर संग्रह बढ़ाने के लिए कर की ऊंची दरें जरूरी होती हैं।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
शोध संस्थान 'थिंक चेंज फोरम' द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, 'आगामी बजट में लिए जाने वाले फैसले यह तय करेंगे कि कराधान दीर्घकालिक आर्थिक विस्तार के लिए उत्प्रेरक बनता है या फिर महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने वाला कारक।'
रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं के लिए छह सूत्रीय सलाह प्रस्तुत की गई है, जिसमें उनसे प्रत्यक्ष करों, प्रवर्तन एवं निवेश नीति तक जीएसटी सुधारों के सिद्धांतों का विस्तार करने का आग्रह किया गया है। इन सुझावों में मुख्य तौर पर नीतिगत स्थिरता एवं अनुपालन-आधारित वृद्धि को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
इसमें उच्च कर दरों को स्थिर रखने, दरें बढ़ाने के बजाय प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रत्यक्ष कर आधार का विस्तार करने, मुआवजा उपकर समाप्त होने के बाद एमआरपी आधारित कराधान से बचने, जीएसटी इनपुट कर ऋण श्रृंखला को पूरा करने, मुनाफे के उत्पादक पुनर्निवेश को प्रोत्साहित करने तथा तस्करी एवं अवैध कारोबार सहित समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई तेज करने की सिफारिश की गई है।
इकोनमी में बढ़ते निवेश विरोधाभास को भी रेखांकित किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर-जीडीपी अनुपात में सुधार के लिए प्रत्यक्ष कर आधार का विस्तार करना अत्यंत आवश्यक है। 140 करोड़ की आबादी में केवल 2.5 से तीन करोड़ प्रभावी करदाता हैं, ऐसे में बजट की दरें बढ़ाने के बजाय जीएसटी, आयकर तथा उच्च मूल्य उपभोग से जुड़े आंकड़ों को एकीकृत कर प्रौद्योगिकी आधारित कर आधार विस्तार को प्राथमिकता देनी चाहिए।
कर-जीडीपी अनुपात, यह मापने का पैमाना है कि किसी देश के कुल राजस्व का कितना हिस्सा सरकार कर के रूप में इकट्ठा करती है। रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते निवेश विरोधाभास को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया कि पिछले एक दशक में कंपनियों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है लेकिन निवेश-से-जीडीपी अनुपात 2011 से पहले के उच्च स्तर से काफी नीचे बना हुआ है।

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