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    बड़ी रिफाइनरियों की जगह छोटी रिफाइनरी लगाने पर होगा जोर, देश की मौजूदा क्षमता को 60 फीसद बढ़ाने की तैयारी

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Tue, 12 Sep 2023 07:31 PM (IST)

    केंद्र सरकार भले ही रिनीवेबल ऊर्जा को लेकर कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रहा हो लेकिन पारंपरिक पेट्रोल व डीजल बनाने की मौजूदा क्षमता को तेजी से बढ़ाने की तैयारी है। देश में रिफाइनरी लगाने की योजना में बदलाव हो रहा है। इस बारे में सोच यह है कि देश में बड़ी बड़ी रिफाइनरियां लगाने की जगह छोटी छोटी रिफाइनरियां लगाई जाएं।

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    देश की मौजूदा रिफाइनरी क्षमता को 60 फीसद बढ़ा कर 40 करोड़ टन सालाना करने की तैयारी। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही रिनीवेबल ऊर्जा को लेकर कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रहा हो लेकिन पारंपरिक पेट्रोल व डीजल बनाने की मौजूदा क्षमता को तेजी से बढ़ाने की तैयारी है। देश में रिफाइनरी लगाने की योजना में बदलाव हो रहा है। इस बारे में सोच यह है कि देश में बड़ी बड़ी रिफाइनरियां लगाने की जगह छोटी छोटी रिफाइनरियां लगाई जाएं ताकि जमीन अधिग्रहण की दिक्कत को दूर किया जा सके।

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    भारत को लंबे समय तक रिफाइनरियों की होगी जरूरतः पुरी

    पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दैनिक जागरण को यह बात उस दिन बताई जिस दिन पीएम नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच भारत के पश्चिमी क्षेत्र में संयुक्त तौर पर एक विशालकाय रिफाइनरी लगाने की योजना पर नए सिरे से बात हुई है।

    पुरी ने बताया कि रिफाइनरियों की जरूरत भारत को अभी लंबे समय तक के लिए रहेगी। भारत की इकोनॉमी जिस हिसाब से आगे बढ़ रही है उसे देखते हुए हमें देश की रिफाइनिंग क्षमता को भी बढ़ाने की जरूरत है। हमारी मंशा है कि देश की मौजूदा रिफाइनिंग क्षमता जो 25 करोड़ मैट्रिक टन सालाना है उसे बढ़ा कर 40 करोड़ मैट्रिक टन सालाना किया जाए।

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    अभी आ रही जमीन अधिग्रहण की दिक्कत

    चूंकि अभी देश में बड़ी रिफाइनरियां लगाने में जितनी जमीन का अधिग्रहण की जरूरत है उसमें मुश्किल आ सकती है। इस समस्या का समाधान छोटी रिफाइनिरयां लगा कर की जा सकती हैं। जैसे छह करोड़ सालाना क्षमता वाली एक रिफाइनरी की जगह पर दो-दो करोड़ सालाना क्षमता की तीन रिफाइनरियां लगाई जाए।

    इस क्रम में पुरी बताते हैं कि इसी हफ्ते पीएम नरेन्द्र मोदी मध्य प्रदेश की बीना रिफाइनरी में 50 हजार रुपये की विस्तार परियोजना का उद्घाटन करने जा रहे हैं। पेट्रोलियम मंत्री बताते हैं कि दुनिया को पारंपरिक रिफाइनरी उत्पादों के साथ ही पेट्रो रसायन की आपूर्ति में एक प्रमुख देश बनेगा। इसलिए सभी सरकारी रिफाइनरी कंपनियां पेट्रो रसायन सेक्टर में तेजी से विस्तार कर रही हैं।

    अगले पांच साल में भारत में बढ़ेगी ऊर्जा की मांग

    जुलाई, 2023 में इंटरनेशनल इनर्जी एजेंसी (आइइए) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2023 से वर्ष 2028 के दौरान दुनिया के दूसरे किसी भी देश के मुकाबले भारत में ऊर्जा की मांग सबसे तेज रहेगी। यह पारंपरिक ऊर्जा खपत में भी बनी रहेगी।

    वर्ष 2022 में ही भारत में कुल 22.3 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों की खपत हुई थी जो इसके पिछले वर्ष के मुकाबले 12 फीसद ज्यादा थी। भारत आज की तारीख में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है और रिफाइनिंग क्षमता के मामले में भी दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है।

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    वर्ष 2030 तक देश में 30 फीसद कारों के इलेक्ट्रिक से चलने की उम्मीद है। इसका मतलब हुआ कि सात वर्ष बाद भी 70 फीसद कारें पेट्रोल, डीजल व गैस से ही चलेंगी। इस हिसाब से भी देश में पेट्रोलियम उत्पादों की रिफाइनरी क्षमता बढ़ाने की जरूरत होगी।

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