फर्जी पासपोर्ट पर भारत में प्रवेश करने पर 7 साल की जेल, इतना भरना पड़ेगा जुर्माना; लागू हुआ कानून
नए कानून के अनुसार भारत में नकली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करने पर अब 7 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह कानून विदेशियों और आव्रजन से संबंधित है जो होटलों और शैक्षणिक संस्थानों को विदेशियों की जानकारी देने के लिए बाध्य करता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में प्रवेश करने, देश में रहने या देश से बाहर जाने के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को अब सात साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। सोमवार को विदेशियों और आव्रजन से संबंधित मामलों को विनियमित करने वाला नया कानून सोमवार को लागू हो गया।
इसमें जाली पासपोर्ट या फर्जी वीजा के उपयोग पर कड़ी सजा का प्रविधान है। आव्रजन एवं विदेशी अधिनियम, 2025 बजट सत्र के दौरान संसद द्वारा पारित किया गया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चार अप्रैल, 2025 को इसे अपनी स्वीकृति दी थी।
विदेशियों की देनी होगी जानकारी
गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव नितेश कुमार व्यास ने एक सितंबर, 2025 से अधिनियम के प्रविधानों के लागू होने की तिथि निर्धारित करने संबंधी अधिसूचना जारी की। बहरहाल, इस कानून में होटलों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा विदेशियों के बारे में जानकारी अनिवार्य रूप से देने का भी प्रविधान है ताकि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक ठहरने वाले विदेशियों पर नजर रखी जा सके।
सभी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों और जहाजों को भारत में किसी बंदरगाह या स्थान पर किसी नागरिक प्राधिकरण या आव्रजन अधिकारी को यात्रियों और चालक दल की सूची और अग्रिम सूचना प्रस्तुत करनी होगी।
पहले दो साल की सजा का था प्रविधान
कानून के अनुसार, "जो कोई भी भारत में प्रवेश करने, यहां रहने या बाहर जाने के लिए जानबूझकर जाली या धोखाधड़ी से प्राप्त पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज या वीजा का उपयोग या इसकी आपूर्ति करता है, तो उसे कम से कम दो वर्ष की कैद की सजा दी जाएगी। इसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, अर्थदंड के रूप में एक लाख रुपये से लेकर दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।"
यह कानून केंद्र सरकार को उन स्थानों पर नियंत्रण रखने का अधिकार देता है जहां किसी विदेशी का अक्सर आना-जाना होता है। साथ ही, उस स्थान विशेष के मालिक को परिसर बंद करने, निर्दिष्ट शर्तों के तहत इसके उपयोग की अनुमति देने, या सभी अथवा "निर्दिष्ट वर्ग" के विदेशियों को प्रवेश देने से मना करने का भी अधिकार देता है।
यह विदेशियों और आव्रजन से संबंधित सभी मामलों को विनियमित करने वाला एक व्यापक कानून है जो अब तक चार अधिनियमों - पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920; विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939; विदेशी अधिनियम, 1946; और आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000 के माध्यम से प्रशासित होते थे। इन सभी कानूनों को निरस्त कर दिया गया है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें- ATS के निशाने पर घुसपैठियों के दो और मददगार, रोहिंग्या-बांग्लादेशियों के पासपोर्ट बनवाने में रही अहम भूमिका
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।