Morarji Desai Death Anniversary: इंदिरा को कहा था गूंगी गुड़िया, नेहरू-शास्त्री के बाद ऐसे बने देश के चौथे पीएम
Morarji Desai Death Anniversary 2023 मोरारजी रणछोड़जी देसाई (29 फरवरी 1896 - 10 अप्रैल 1995)एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थेजिन्होंने 1977 से 1979 के बीच भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया था।

नई दिल्ली, जागरण डेस्क। मोरारजी देसाई एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे। मोरारजी देसाई ने 1977 से 1979 तक भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। देसाई को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, स्वतंत्रता के बाद के भारत में उनकी भूमिका और गांधीवादी सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
वह ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया था। कांग्रेस में रहते हुए वैचारिक मतभेद के कारण उन्होंने इंदिरा गांधी को 'गूंगी गुड़िया' तक कह दिया था।
वह यह मानते थे कि जब तक गांवों और कस्बों में रहने वाले गरीब लोग सामान्य जीवन जीने में सक्षम नहीं है, तब तक समाजवाद का कोई मतलब नहीं है। मोरारजी देसाई ने किसानों एवं किरायेदारों की कठिनाइयों को सुधारने की दिशा में प्रगतिशील कानून बनाकर अपनी इस सोच को कार्यान्वित करने का ठोस कदम उठाया। इसमें मोरारजी देसाई की सरकार देश के अन्य राज्यों से बहुत आगे थी। इसके अलावा उन्होंने अडिग होकर एवं पूर्ण ईमानदारी से कानून को लागू किया। बंबई में उनकी इस प्रशासन व्यवस्था की सभी ने जमकर तारीफ की।
24 मार्च 1977 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में ली शपथ
24 मार्च 1977 को उन्होंने जब भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री के रूप में चाहते थे कि भारत के लोगों को इस हद तक निडर बनाया जाए कि देश में कोई भी व्यक्ति, चाहे वो सर्वोच्च पद पर ही आसीन क्यों न हो, अगर कुछ गलत करता है तो कोई भी उसे उसकी गलती बता सके।
उन्होंने बार-बार यह कहा, 'कोई भी, यहां तक कि प्रधानमंत्री भी देश के कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए।' बता दें कि राजनीति में अपने लंबे करियर के दौरान, उन्होंने सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया जैसे बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और भारत के दूसरे उप प्रधानमंत्री रहे।
गुजरात के भदेली में हुआ था जन्म
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के भदेली नाम के एक स्थान पर हुआ था। वह एक ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता रणछोड़जी देसाई एक अध्यापक थे। मोरारजी देसाई के पिता उनके आदर्श थे। उनकी मां का नाम वीजाबाई था। वे अपने आठ भाई बहनों में सबसे बड़े थे। वे अपने पिता के बारे में कहते थे- 'मेरे पिता ने मुझे जीवन के मूल्यवान पाठ पढ़ाए थे। मुझे उनसे कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उन्होंने धर्म पर विश्वास रखने और सभी स्थितियों में समान बने रहने की शिक्षा भी मुझे दी थी।'
उन्होंने सेंट बुसर हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की एवं अपनी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्कालीन बंबई प्रांत के विल्सन सिविल सेवा से 1918 में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने बाद उन्होंने बारह वर्षों तक डिप्टी कलेक्टर के रूप में कार्य किया।
मोरारजी देसाई का राजनीतिक करियर
1931 में, मोरारजी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में शामिल हो गए। 1931 से 1937 तक, वह गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव थे। तत्कालीन बॉम्बे प्रांत के मुख्यमंत्री बी.जी. खेर, मोरारजी को 1937 में पहली कांग्रेस सरकार में राजस्व, कृषि, वानिकी और सहकारिता मंत्री नियुक्त किया गया था।
1957 से 1980 तक, मोरारजी ने लोकसभा के सदस्य के रूप में सूरत निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें 1956 में वाणिज्य और उद्योग मंत्री नामित किया गया था और 1963 में उस पद को छोड़ दिया था। 1967 में देसाई इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप-प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के रूप में शामिल हुए। जुलाई 1969 में इंदिरा गांधी ने उनसे वित्त मंत्रालय का प्रभार वापस ले लिया।
देसाई ने इस बात को माना कि प्रधानमंत्री के पास सहयोगियों के विभागों को बदलने का विशेषाधिकार है लेकिन उनके आत्म-सम्मान को इस बात से ठेस पहुंची कि इंदिरा गांधी ने इस बात पर उनसे परामर्श करने का सामान्य शिष्टाचार भी नहीं दिखाया। इसलिए उन्हें यह लगा कि उनके पास भारत के उप-प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए, मोरारजी को 1975 से 1977 तक एकान्त कारावास में रखा गया। बाद में, उन्होंने जनता पार्टी में भाग लेना शुरू किया, जो चार छोटे दलों का एक संघ था। 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल के बाद, जनता पार्टी ने जून 1977 में शानदार जीत के साथ एक अप्रत्याशित चुनाव जीता। जनता पार्टी के नेताओं ने प्रधानमंत्री के रूप में काम करने के लिए मोरारजी देसाई को चुना। दो साल की राजनीतिक अशांति और जनता पार्टी के भीतर कई विभाजनों के बाद, देसाई ने अविश्वास मत को टालने के लिए 15 जुलाई, 1979 को अपने इस्तीफे की घोषणा की।
पुरस्कार और सम्मान
मोरारजी देसाई को भारत सरकार की ओर से 'भारत रत्न' तथा पाकिस्तान की ओर से 'तहरीक-ए-पाकिस्तान' का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ है।
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