Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हम सभी के एक हैं पूर्वज', मोहन भागवत बोले- प्रत्येक राष्ट्र की होती है अपनी अनूठी जीवन शैली

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि हर देश की अपनी अनूठी जीवन शैली होती है जो उसकी संस्कृति से आती है। उन्होंने कहा कि दुनिया को शांति और सह-अस्तित्व का संदेश देने के लिए देश को मजबूती से खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी के पूर्वज एक हैं। हमें अपनी विविधता का पालन करते हुए अपनी एकता को आगे बढ़ाना होगा।

    By Agency Edited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 28 Dec 2023 11:54 PM (IST)
    Hero Image
    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)

    पीटीआई, माजुली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि हर देश की अपनी अनूठी जीवन शैली होती है, जो उसकी संस्कृति से आती है। उन्होंने कहा कि दुनिया को शांति और सह-अस्तित्व का संदेश देने के लिए देश को मजबूती से खड़ा होना होगा। इस कार्य को पूरा करने के लिए हमारे समाज में आध्यात्मिक नेताओं को आगे आना होगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या कुछ बोले मोहन भागवत?

    असम के माजुली में 'पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन' में भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति 'एकम सत् विप्रा बहुधा वदन्ति' (सत्य एक है, लेकिन बुद्धिजीवियों द्वारा इसे अलग-अलग तरीके से प्रकट किया जाता है) के माध्यम से प्रतिबिंबित होती है। यह सर्व-समावेशी परंपरा केवल भारत में मौजूद है। उन्होंने कहा,

    हम सभी के पूर्वज एक हैं। हमें अपनी विविधता का पालन करते हुए अपनी एकता को आगे बढ़ाना होगा। समाज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी होगी। भारत के शाश्वत आध्यात्मिक मूल्यों और रीति-रिवाजों को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय जागरूकता बेहद आवश्यक है।

    यह भी पढ़ें: 'ग्रंथ के प्रमाण भ्रमित हो सकते हैं, संत के नहीं', भागलपुर में सनातन पर खूब बोले मोहन भागवत

    पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन

    भागवत ने सभी आध्यात्मिक नेताओं से इस संदेश और सर्वोत्तम आध्यात्मिक मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का अनुरोध किया। भागवत ने कहा कि जिस तरह असम के महान संत श्रीमंत शंकरदेव ने सामाजिक सुधार लाया उसी तरह हम सभी को अपने समाज के भीतर विभिन्न सामाजिक बुराइयों को खत्म करना होगा।

    सम्मेलन में पूरे पूर्वोत्तर राज्यों के 37 विभिन्न धार्मिक संस्थानों और संप्रदायों से जुड़े कुल 104 आध्यात्मिक नेताओं ने भाग लिया। विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं और समुदायों के बीच समन्वय, सद्भावना के लिए इस सम्मेलन को आयोजित किया गया।

    यह भी पढ़ें: भागलपुर में मोहन भागवत की सुरक्षा में सेंध, इस बहाने से नजदीक आया शख्स; DSP ने धर दबोचा