EU ने रूस के तेल कारोबार पर कसा शिकंजा, भारत उठा सकता है जबरदस्त फायदा; जानें कैसे
यूरोपीय संघ ने रूस पर नए प्रतिबंध लगाए हैं जिसके तहत रूसी कच्चे तेल की बिक्री की अधिकतम कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 47.6 डॉलर कर दी गई है। इस कदम का उद्देश्य रूस के राजस्व को कम करना है। भारत जो रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है को इससे लाभ होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन से युद्ध कर रहे रूस पर यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को नए प्रतिबंधों की घोषणा की है। इस प्रतिबंध के तहत रूस उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के लिए अधिकतम कीमत की मौजूदा स्तर 60 डॉलर प्रति बैरल से घटा कर 47.6 डॉलर कर दिया गया है ताकि रूस के राजस्व को घटाया जा सके।
इसका मतलब यह हुआ कि भारत जैसे विक्रेता देशों को रूस 47.6 डॉलर से ज्यादा कीमत पर कच्चे तेल की बिक्री नहीं कर सकेगा। भारत इस समय रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीददार है तो साफ है कि इस नए प्रतिबंध का उसे फायदा होगा। लेकिन यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत स्थित रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की सब्सिडियरी कंपनी नायरा इनर्जी की रिफाइरनी पर भी प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है।
EU ने लगाए ये आरोप
ईयू ने रोसनेप्ट की इस रिफाइनरी को रूस के कच्चे तेल की ढुलाई में छद्म तरीके से मदद करने का आरोप लगाते हुए उस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। इससे नायरा रिफाइरनी के लिए वैश्विक बाजार के रास्ते बंद हो सकते हैं।
यूरोपीय संघ की विदेश नीति की प्रमुख काया कालस ने इस बारे में घोषणा करते हुए कहा है कि, “पहली बार हम भारत में स्थित व रोसनेफ्त की सबसे बड़ी रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू होगा यानी इसकी परिसंपत्तियों की जब्ती, अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध आदि भी लागू होंगे।''
किसके खिलाफ EU लेगा एक्शन
यह कदम कच्चे तेल की ढुलाई के लिए छद्म तरीके से स्थापित रूसी व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और इनसे तेल खरीदने वाली सबसे प्रमुख भारत स्थित रिफाइनरी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नायरा इनर्जी मूल तौर पर एस्सार समूह की तरफ से गुजरात में स्थापित रिफाइनरी है जिसमें 98 फीसद हिस्सेदारी रोसनेफ्त व इसकी कुछ दूसरी सहयोगियों ने वर्ष 2017 में खरीद लिया था।
35 फीसद कच्चा तेल रूस से खरीदता है भारत
यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद यह रिफाइनरी भारी मात्रा में रूसी तेल की खरीद कर रही थी। हाल ही में यह खबर भी आई है कि रोसनेफ्त इस रिफाइनरी से अपनी हिस्सेदारी बेच कर बाहर निकलना चाहती है। इसकी 6750 पेट्रोल पंप देश भर में है। एक दिन पहले ही पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि भारत अपनी जरूरत का तकरीबन 35 फीसद कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है। जब फरवरी, 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरूआत हुई थी तब भारत अपनी जरूरत का सिर्फ 0.2 फीसद तेल ही रूस से खरीदता था।
पुरी का तर्क है कि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद कर वैश्विक पेट्रोलियम बाजार को स्थिर रखने में मदद की है। भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीददार देश है। यह भी सच है कि रूस से खरीदे गये कच्चे तेल के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति यूरोपीय संघ के देशों को होती है। इस हकीकत को ये देश समझते हैं तभी वह रूस से तेल बिक्री पर वह पुरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाते बल्कि उसकी कीमत घटाने की कोशिश करते हैं।
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