1 जनवरी से लागू होगा यूरोपीय संघ का कार्बन टैक्स, किसे होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
यूरोपीय संघ का कार्बन टैक्स (सीबीएएम) 1 जनवरी से लागू हो रहा है, जिससे भारत के इस्पात और एल्युमिनियम निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ेगा। जीटीआरआई के अनुस ...और पढ़ें

ईयू का कार्बन टैक्स 1 जनवरी से लागू होगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूरोपीय संघ (ईयू) का कुछ धातुओं पर कार्बन टैक्स (सीबीएएम) एक जनवरी से लागू होने जा रहा है और इससे भारत के इस्पात और एल्युमिनियम निर्यात को झटका लग सकता है। यूरोपीय संघ के 27 देशों का समूह उन वस्तुओं पर यह कर लगा रहा है, जिनके निर्माण के दौरान कार्बन उत्सर्जन होता है।
इस्पात क्षेत्र में ब्लास्ट फर्नेस-बेसिक आक्सीजन फर्नेस (बीएफ-बीओएफ) मार्ग में उत्सर्जन सबसे अधिक होता है जबकि गैस आधारित डीआरआइ में यह कम तथा कबाड़ (स्क्रैप) आधारित इलेक्टि्रक आर्क फर्नेस (ईएएफ) में सबसे कम होता है।
ईयू का कार्बन टैक्स 1 जनवरी से लागू होगा
इसी तरह एल्युमिनियम में बिजली का स्त्रोत एवं ऊर्जा की खपत अहम भूमिका निभाती है। कोयले से उत्पादित बिजली से कार्बन बोझ बढ़ता है जिससे सीबीएएम लागत भी अधिक होती है।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, कई भारतीय निर्यातकों को कीमतों में 15 से 22 प्रतिशत तक की कटौती करनी पड़ सकती है ताकि ईयू के आयातक उसी मुनाफे (मार्जिन) से सीबीएएम कर का भुगतान कर सकें।
निर्यातकों को 15-22% तक कीमत घटानी पड़ सकती है
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि 2026 से उत्सर्जन आंकड़ों का स्वतंत्र सत्यापन अनिवार्य होगा और केवल ईयू-मान्यता प्राप्त या आइएसओ 14065 के अनुरूप सत्यापनकर्ताओं को ही स्वीकार किया जाएगा।
जीटीआरआई के अनुसार, भारत का ईयू को इस्पात एवं एल्युमिनियम निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 7.71 अरब डालर से घटकर 2025 में 5.82 अरब डालर रह गया, जो 24.4 प्रतिशत की गिरावट है।
भारत और ईयू के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते की वार्ताओं में भी कार्बन कर एक अहम मुद्दा बना हुआ है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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