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भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि, कार्बन उत्सर्जन घटाने के लक्ष्य में नहीं होगी कोई कमी

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि हमने कार्बन उत्सर्जन घटने के लक्ष्य की प्रतिबद्धता में कोई कमी की है। भारत का विकास वैश्विक विकास को गति देगा।

By AgencyEdited By: Amit SinghPublished: Wed, 08 Feb 2023 12:05 AM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2023 12:05 AM (IST)
भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि, कार्बन उत्सर्जन घटाने के लक्ष्य में नहीं होगी कोई कमी
कार्बन उत्सर्जन घटाने के लक्ष्य में नहीं होगी कोई कमी

बेंगलुरु, एएनआइ: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हमने कार्बन उत्सर्जन घटने के लक्ष्य की प्रतिबद्धता में कोई कमी की है।बेंगलुरु में आयोजित एक एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के समापन पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत का विकास वैश्विक विकास को गति देगा क्योंकि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों में एशिया में भारत में ऊर्जा की मांग में सबसे ज्यादा वृद्धि रहेगी। 2045 तक भारत की ऊर्जा मांग 3.77 करोड़ बैरल प्रति दिन होगी, जो 2021 में 1.86 करोड़ बैरल प्रतिदिन थी।

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दुनिया के गुरुत्वाकर्षण का केंद्र एशिया की ओर

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऊर्जा की दुनिया के गुरुत्वाकर्षण का केंद्र धीरे-धीरे एशिया की ओर स्थानांतरित हो रहा है। एशिया को कार्बन मुक्त करना होगा, जबकि इस क्षेत्र की ऊर्जा मांग अभी भी बढ़ रही है। उन्होंने भारत को गैस आधारित व्यवस्था के रूप में विकसित करने, जीवाश्म ईंधन के स्वच्छ उपयोग, 2030 तक 450 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने, जैव ईंधन पर अधिक निर्भरता बढ़ाने, बिजली के योगदान में वृद्धि और हाइड्रोजन जैसे उभरते ईंधन को लेकर भारत की योजनाओं की भी जानकारी दी।

2045 में भारत में तेल की सबसे ज्यादा मांग रहेगी

तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने कहा है कि 2045 तक तेल की सबसे ज्यादा मांग भारत में रहेगी। ओपेक की ओर से इंडिया एनर्जी वीक के दौरान पेश किए गए व‌र्ल्ड आयल आउटलुक-2045 रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में भारत ही नहीं एशिया के अन्य देशों और अफ्रीका में भी तेल की मजबूत मांग रहेगी। तब इन क्षेत्रों में शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2045 तक 12.1 ट्रिलियन डालर की तेल संबंधी निवेश आवश्यकताओं को पूरा करना एक वैश्विक चुनौती होगी। यह निवेश आवश्यकता 2021 के आउटलुक से थोड़ी ज्यादा है।

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