हल्द्वानी ही नहीं, देशभर में रेलवे की दो हजार एकड़ जमीन पर है अतिक्रमण; पढ़ें पूरी डिटेल
देशभर में रेलवे की दो हजार एकड़ जमीन पर अतिक्रमण है। सबसे ज्यादा उत्तर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है। रेलवे के पास 11 लाख 81 हजार एकड़ जमीन है जिसमें से 1934.36 एकड़ पर कब्जा है।

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने का मामला तूल पकड़ रहा है। रेलवे की अतिक्रमित जमीन का यह अकेला ऐसा मामला नहीं है, बल्कि देश भर में रेलवे की लगभग दो हजार एकड़ जमीन पर वर्षों से कब्जा है। सबसे ज्यादा उत्तर रेलवे की करीब चार सौ एकड़ जमीन पर अतिक्रमण है।
रेलवे के पास पुनर्वास का कोई प्रविधान नहीं
परेशानी यह है कि रेलवे कभी समय से जगा ही नहीं और लंबे समय तक अतिक्रमण के बाद रेलवे के पास पुनर्वास का कोई प्रविधान नहीं है। देश भर में रेलवे के 17 में से आठ जोन ऐसे हैं, जहां सौ एकड़ से भी ज्यादा जमीन पर अवैध तरीके से लोग घर और कालोनियां बनाकर रह रहे हैं। विभिन्न राज्यों में रेलवे पटरियों के किनारे बड़ी संख्या में लोग अवैध निर्माण कर दशकों से रहते आ रहे हैं। पटना, रांची एवं लखनऊ जैसे शहरों में आए दिन इसे लेकर हंगामा भी होता रहा है।
क्या है रेल अधिनियम 1989?
रेल अधिनियम 1989 के अनुसार, पटरियों पर अवैध तरीके से रहने वाले लोगों के पुनर्वास का कोई प्रविधान नहीं है। सिर्फ रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने का कानून है। इसी प्रविधान के तहत रेलवे अपनी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का प्रयास निरंतर कर रहा है।
मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि पिछले पांच वर्ष के दौरान डेढ़ सौ एकड़ जमीन से कब्जा हटाया भी गया है। फिर भी रेलवे की 1934.36 एकड़ जमीन पर अभी भी अतिक्रमण है।
रेलवे के पास 11 लाख 81 एकड़ जमीन
अपनी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे स्थानीय स्तर पर ही सर्वे करता रहा है। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर रेलवे ने पहली बार समग्रता में पांच वर्ष पहले सर्वे किया था। 2017 में किए गए सर्वे के अनुसार रेलवे के पास कुल 11 लाख 81 एकड़ जमीन है। पांच वर्ष पहले इसमें से दो हजार 86 एकड़ से अधिक जमीन पर अतिक्रमण था। हालांकि धीरे-धीरे रेलवे ने 152 एकड़ जमीन से कब्जा हटवाया है। शेष पर भी प्रयास किया जा रहा है।
धीरे-धीरे हट रहा अतिक्रमण
पिछले पांच वर्षों के दौरान रेलवे की जमीन पर समग्रता में अतिक्रमण का आंकड़ा तो कम हुआ है, लेकिन कुछ जोन में वृद्धि भी हुई है। उत्तर रेलवे की अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराने में ज्यादा सफलता मिली है। पांच वर्ष पहले यहां 501 एकड़ से अधिक जमीन पर कब्जा था, जो अब घटकर 390.15 एकड़ रह गया है।
हालांकि, इस दौरान पश्चिम रेलवे एवं पश्चिम मध्य रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण में तेजी से वृद्धि भी हुई है। रेलवे की जमीन पर अवैध निर्माण को स्थानीय पुलिस की मदद से हटाया जाता है। अगर जमीन पर सामूहिक रूप से कब्जा है तो पब्लिक प्रिमाइसेस एक्ट-1971 के तहत मुक्त कराया जाता है।
कहां कितनी जमीन अतिक्रमित (एकड़ में)
- उत्तर रेलवे : 390.15
- दक्षिण पूर्व रेलवे : 347.42
- पूर्वोत्तर रेलवे : 230.28
- दक्षिण रेलवे : 136.27
- मध्य रेलवे : 129.74
- पश्चिमी रेलवे : 125.11
- दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे : 102.32
- उत्तर मध्य : 101.26 (स्त्रोत : रेलवे मंत्रालय)
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