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Elgar Parishad Case: गौतम नवलखा को SC से नहीं मिली राहत, जमानत पर रोक बरकरार; NIA ने दायर की थी अपील

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में एक बार फिर से कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जमानत के आदेश पर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को शुक्रवार को बढ़ा दिया। नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल नवंबर में उन्हें घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Published: Fri, 05 Jan 2024 02:44 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jan 2024 02:44 PM (IST)
गौतम नवलखा को SC से नहीं मिली राहत। फाइल फोटो।

पीटीआई, नई दिल्ली। Elgar Parishad-Maoist links case: एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले (Elgar Parishad-Maoist links case) में एक बार फिर से कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जमानत के आदेश पर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को शुक्रवार को बढ़ा दिया। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष एनआईए की याचिका पेश करने का भी निर्देश दिया।

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एनआईए ने दायर की थी अपील

मालूम हो को बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल 19 दिसंबर को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में एक्टिविस्ट नवलखा को जमानत दे दी थी। हालांकि, एनआईए ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अपील दायर कर समय की मांग की, जिसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी। इस मामले में अब तक करीब 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से पांच फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।  

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2018 में हुई थी गिरफ्तारी

मालूम हो कि नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पिछले साल नवंबर में उन्हें घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी। गौतम नवलखा फिलहाल नवी मुंबई में रह रहे हैं। 

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क्या है मामला?

मालूम हो कि यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे शहर के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।


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