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    Elgar Parishad case: जेल से रिहा हुए आरोपी गोंसालवेज और अरुण फरेरा, SC से 28 जुलाई को मिली थी जमानत

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 05 Aug 2023 04:38 PM (IST)

    एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता वर्नोन गोंसालवेज और अरुण फरेरा शनिवार दोपहर नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा हो गए। मालूम हो कि इस संबंध में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने शुक्रवार को रिहाई का आदेश जारी किया था। हालांकि एक सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी थी।

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    जेल से रिहा हुए आरोपी गोंसालवेज और अरुण फरेरा। फाइल फोटो।

    मुंबई, पीटीआई। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता वर्नोन गोंसालवेज और अरुण फरेरा शनिवार दोपहर नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा हो गए। मालूम हो कि इस संबंध में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने शुक्रवार को रिहाई का आदेश जारी किया था। एक सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी थी।

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    जेल के बाहर जुटा था समर्थकों का भीड़

    पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों कार्यकर्ताओं के कुछ समर्थक और उनके परिजन जेल के बाहर उन्हें लेने के लिए इंतजार कर रहे थे। दोनों आरोपियों के साथ अब इस मामले में गिरफ्तार अन्य 16 में से कुल पांच जमानत पर बाहर हैं। हालांकि, 16 में से एक जेसुइट पादरी स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत के दौरान जुलाई 2021 में एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।

    SC से मिली थी जमानत

    मालूम हो कि इस मामले में दोनों आरोपियों को 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि आतंकवादी कृत्य में गोंसाल्वेस और फरेरा की वास्तविक संलिप्तता किसी तीसरे पक्ष के संचार से सामने नहीं आई है। अदालत ने जमानत देते हुए यह कहा था कि आरोपी कोर्ट की अनुमति के बिना महाराष्ट्र न छोड़ें और अपने पासपोर्ट जमा कर दें।

    क्या है मामला?

    मालूम हो कि यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम से जुड़ा है और पुणे पुलिस का आरोप है कि इसके लिए धन माओवादियों ने दिया था। पुलिस का यह भी आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन पुणे के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा भड़क गई थी। बाद में एनआईए ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।