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    Congress Working Committee: कांग्रेस कार्यसमिति के लिए चुनावी तैयारी पूरी मगर चुनाव की गुंजाइश कम

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Wed, 15 Feb 2023 07:35 PM (IST)

    पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को साधने के साथ उथल-पुथल से बचने के लिए रायपुर प्लेनरी सत्र में प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष को कार्यसमिति के गठन का दिया जा सकता है अधिकार। प्लेनरी सत्र के पहले दिन 24 फरवरी को संचालन समिति कार्यसमिति का चुनाव कराने पर निर्णय लेगी

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    कांग्रेस नेतृत्व के पास संतुलन कार्ड खेलने का मौका होगा।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रायपुर में 24-26 फरवरी तक होने वाले कांग्रेस के प्लेनरी सत्र की तारीख नजदीक आने के साथ ही पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव को लेकर अंदरूनी हलचलें बढ़ने लगी हैं। कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने रायपुर अधिवेशन के दौरान कार्यसमिति का चुनाव कराने की अपनी तरफ से तैयारियां लगभग पूरी कर ली है मगर पार्टी की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितयां और अंदरूनी समीकरणों को साधने की जरूरत चुनाव की राह में बड़ी चुनौती है। ऐसे में इस बात की पुख्ता संभावना है कि भले ही पार्टी की ओर से चुनावी तैयारियां पूरी हो मगर कार्यसमिति के चुनाव होंगे इसकी गुंजाइश कम नजर आ रही है।

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    कांग्रेस नेतृत्व के पास संतुलन कार्ड खेलने का मौका

    मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद कार्यसमिति समेत एआइसीसी पदाधिकारियों की पूरी टीम नई टीम की नियुक्ति तक संचालन समिति में तब्दील हो चुकी है। पार्टी संविधान के अनुसार प्लेनरी सत्र के पहले दिन 24 फरवरी को संचालन समिति कार्यसमिति का चुनाव कराने या कांग्रेस अध्यक्ष को मनोनयन का अधिकार देने के प्रस्ताव पर निर्णय लेगी और अगले दिन प्लेनरी के दौरान इस पर अंतिम मुहर लगाएगी।

    हालांकि पार्टी गलियारों में नई कार्यसमिति के गठन को लेकर चल रही अंदरूनी चर्चाओं का संकेत यही है कि बेशक कुछ एक नेता चुनाव की हिमायत कर रहे हैं मगर पार्टी के ढांचे में मौजूदा हकीकत के हिसाब से सियासी संतुलन बनाए रखना उतना ही अहम है।

    कांग्रेस अध्यक्ष को दिया जा सकता है मनोनयन का अधिकार

    कार्यसमिति में वोट देने वाले एआइसीसी डेलीगेटों की संख्या प्रदेशों के आकार के हिसाब से है और इसमें स्वाभाविक रूप से उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के डेलीगेट की संख्या अधिक होगी। जबकि संसद में दक्षिण के राज्यों के साथ छत्तीसगढ व पंजाब जैसे प्रदेश का योगदान अहम है। कार्यसमिति में इन राज्यों के नेताओं को पर्याप्त जगह देना पार्टी की जरूरत है मगर चुनाव हुए तो संख्या बल का यह आंकड़ा अंदरूनी समीकरण बनाए रखने के गणित को बिगाड़ सकता है।

    ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव तक पार्टी के अंदरूनी समीकरण को बनाए रखते हुए उथल-पुथल की स्थिति टालने के लिए कार्यसमिति का गठन चुनाव की जगह मनोनयन के जरिए होता है तो कांग्रेस नेतृत्व के पास संतुलन कार्ड खेलने का मौका होगा।

    वैसे 1997 में सीताराम केसरी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कोलकाता में हुए एआइसीसी अधिवेशन में आखिरी बार कार्यसमिति का सीधे चुनाव हुआ था। पार्टी संविधान के अनुसार 24 सदस्यीय कार्यसमिति के आधे यानि 12 सदस्यों के मनोनयन का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को है और 12 सदस्यों का चुनाव होता है।

    चुनाव से भरे जाने 12 सदस्यों के मनोनयन का अधिकार प्लेनरी में प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष को दिया जा सकता है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान प्लेनरी सत्र में प्रस्ताव पारित कर कार्यसमिति के सदस्यों का मनोनयन करने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को दिया गया था।

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