एस.के. सिंह, नई दिल्ली। बजट में कृषि से जुड़े स्टार्टअप के लिए एक्सेलरेटर फंड बनाने की घोषणा के बाद अगर आप भी एग्री-स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए कुछ बातें पहले से जान लेना बेहतर होगा। किसी भी स्टार्टअप के सफल होने के तीन महत्वपूर्ण पहलू होते हैं- सही आइडिया के साथ शुरुआत, उसकी सस्टेनेबिलिटी और फंडिंग। इनमें से किसी भी चरण में कमजोर पड़ने का मतलब है नाकामी। यही कारण है कि 90 से 95 प्रतिशत स्टार्टअप बंद हो जाते हैं। इस लेख में स्टार्टअप जगत के विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सफलता के लिए विभिन्न चरणों में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

प्रोडक्ट में कुछ नया हो

मैनेजमेंट गुरु और गुजरात में स्टार्टअप ईकोसिस्टम से गहराई से जुड़े नयन पारिख जागरण प्राइम से कहते हैं, “आइडिया अथवा अप्रोच यूनिक होना चाहिए। हर स्टार्टअप वाले को लगता है कि मेरा आइडिया बहुत अच्छा और दुनिया में पहला है। इसलिए अपने आइडिया के बारे में कुछ ऐसे करीबी लोगों से बात करें जो निष्पक्ष फीडबैक दे सकें। उनसे कहिए, ‘आप यह सोचकर फीडबैक दीजिए कि इस स्टार्टअप में आपको पैसा लगाना है।’ इस तरह आप उनकी ब्रेन कैपिटल का इस्तेमाल करेंगे।”

वे कहते हैं, हो सकता है आइडिया नया न हो लेकिन उस पर अमल का तरीका बिल्कुल नया हो। जैसे, फूड डिलीवरी बिजनेस में पहले से अनेक कंपनियां हैं। अगर आप उस बिजनेस में उतरना चाहते हैं तो उसमें यूनिक क्या करेंगे? पारिख के अनुसार, इस वास्तविकता को ध्यान में रखना चाहिए कि 5 से 10% स्टार्टअप ही सफल होते हैं।

एग्री स्टार्टअप एक्वाकनेक्ट के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन हेड मुरुगन चिदंबरम के अनुसार, “किसी भी एग्रीटेक आंत्रप्रेन्योर के लिए बाजार, उसकी चुनौतियों और उसके अवसरों को अच्छी तरह समझना जरूरी है। इसके लिए किसानों और जमीन पर कार्य करने वाले अन्य संबंधित लोगों से जुड़ना पड़ेगा, उनकी रोज की समस्याओं को समझना होगा। पैदावार, संसाधनों के इस्तेमाल, मार्केट लिंकेज तथा वैल्यू चेन में काम आने वाली अन्य चीजों की गहरी जानकारी हासिल करनी होगी। एग्रीटेक स्टार्टअप की सफलता के लिए कृषि की समस्याओं को समझ कर उस पर फोकस करना आवश्यक है।”

चिदंबरम के अनुसार एग्रीटेक स्टार्टअप की सफलता के समीकरण अन्य सेक्टर से अलग होते हैं। सदियों से पारंपरिक तरीके से खेती हो रही है, जिसे बदलना काफी चुनौतीपूर्ण है। प्रोडक्ट तैयार करते समय इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है। किसी प्रोडक्ट के इनोवेशन में जितना प्रयास लगता है, सफलता हमेशा उसके अनुपात में नहीं मिलती। इसलिए यूजर एक्सपीरियंस, ट्रेनिंग, जागरूकता और कस्टमाइजेशन जैसे विषयों की चुनौतियों को दूर करने के लिए स्ट्रैटजी तैयार की जानी चाहिए।

पारिख शुरुआत में ही कुछ पैसा दूसरों का लगाने पर जोर देते हैं। वे कहते हैं, “सिर्फ अपना पैसा न लगाएं, कुछ पैसा दूसरों से भी लें। जो पैसा लगाएगा वह आप पर नजर रखेगा और आप पर भी अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहेगा। इससे आपका सर्किल भी बड़ा होगा। इससे आपके प्रोजेक्ट की वैल्यूएशन भी सही हो जाती है।” पारिख के अनुसार, किसी न किसी तरीके से टेक्नोलॉजी को लाइए, इसके बिना आप उसे स्टार्टअप नहीं कह सकते।

समाधान सस्ता हो, तभी किसान अपनाएंगे

स्टार्टअप की सस्टेनेबिलिटी के लिए पारिख मार्केटिंग और कस्टमर एक्विजिशन पर ध्यान देने की बात कहते हैं। उनकी राय में, “यह बहुत तेजी से करना पड़ेगा। आपको देखकर दूसरे लोग भी वह काम करना चाहेंगे। अगर आपने तेजी से बिजनेस नहीं बढ़ाया तो आपका प्रतिस्पर्धी आपसे आगे निकल सकता है।” लगातार निवेश जुटाते रहना चाहिए। हर निवेशक यह शर्त रखता है कि उसे आपने जिस वैल्यूएशन पर हिस्सेदारी दी है उससे कम पर आगे नहीं बेचेंगे। इससे आपकी वैल्यूएशन बढ़ती है।

वे कहते हैं, टेक्नोलॉजी का लगातार विकास हो रहा है इसलिए आपको भी अपने प्रोडक्ट में लगातार नई टेक्नोलॉजी का समावेश करना पड़ेगा। जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT), मशीन लर्निंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग आदि का इस्तेमाल। 5G आ गया है, तो आपको इस टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट करने का तरीका भी सोचना चाहिए।

चिदंबरम का मानना है कि एग्री स्टार्टअप की सस्टेनेबिलिटी के लिए पूर्व नियोजित और सटीक रणनीति आवश्यक है। इस चरण में बिजनेस मॉडल को विस्तार देना होता है ताकि उसकी पहुंच बढ़े और उससे फायदा भी हो। रेवेन्यू का स्रोत लगातार बनाए रखने के लिए इनोवेटिव नजरिया अपनाना जरूरी है।

वे कहते हैं, तकनीकी रूप से उत्तम प्रोडक्ट तैयार करना ही अब काफी नहीं है। बड़ी समस्या किसी प्रोडक्ट को बड़े स्तर पर लागू करने में आने वाली दिक्कतें हैं। “यही वह काम है जहां विजनरी लीडर अपने आप को दूसरों से अलग करते हैं। वे सबसे प्रभावशाली चुनौतियों की पहचान करते हैं, उनका ऐसा समाधान तलाशते हैं जो सस्टेनेबल हो तथा बड़े पैमाने पर उसे लागू किया जा सके।”

उन्होंने कहा, एग्रीटेक स्टार्टअप की सफलता के लिए जरूरी है कि उसका समाधान सस्ता हो। किसी प्रोडक्ट को अपनाने में किसानों की आर्थिक स्थिति बड़ी बाधा बनती है, इसलिए स्टार्टअप को कीमत का ऐसा मॉडल चुनना पड़ेगा जो किसानों को प्रेरित करे, साथ ही स्टार्टअप को भी निरंतर रेवेन्यू मिलता रहे। वे कहते हैं, “एक्वाकनेक्ट ने फ्रीमियम (फ्री+प्रीमियम) मॉडल अपनाया। इसमें किसान हमारी सेवाएं मुफ्त में ले सकते हैं, वहीं कंपनी को प्रोडक्शन और फसल के बाद वैल्यू चेन में शामिल लोगों तथा मार्केट इंटेलिजेंस सर्विसेज से पैसा मिलता है।”

चिदंबरम के अनुसार स्टार्टअप का संस्थापक अपनी डेवलपमेंट टीम और यूजर के बीच की कड़ी होता है। उसका खुले मस्तिष्क वाला होना जरूरी है, ताकि वह अलग-अलग जगहों से मिलने वाले फीडबैक को स्वीकार कर सके तथा जरूरत के अनुसार प्रोडक्ट में कस्टमाइजेशन कर सके। कृषि और उससे संबंधित उद्योग के डायनामिक्स बिल्कुल अलग होते हैं। तेज गति से आगे बढ़ने के लिए बाजार की वास्तविकता पर लगातार नजर रखना जरूरी है।

फंडिंग के लिए स्ट्रैटजी महत्वपूर्ण

पारिख के अनुसार, आम तौर पर स्टार्टअप दो तरह की स्ट्रैटजी अपनाते हैं- कैश बर्न या कैश अर्न। ‘कैश बर्न’ मॉडल में कोई एसेट नहीं होता है। कैश बर्निंग यानी पैसे आप इसलिए खर्च करते हैं क्योंकि आपने यूजर संख्या का एक लक्ष्य तय कर रखा है। पैसे खर्च करते समय आप मुनाफा नहीं देखते। अनेक ई-कॉमर्स कंपनियों ने यह नीति अपनाई है। सालों तक उन्होंने इसलिए घाटा सहा ताकि उनके यूजर्स की संख्या बढ़ सके।

‘कैश अर्न’ के दूसरे तरीके में आप शुरू से मुनाफे पर ध्यान देते हैं और धीरे-धीरे अपना बाजार और अपनी वैल्यूएशन बढ़ाते हैं। यह नीति अपनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट की कीमत लागत से कम नहीं रखती हैं। ज्यादातर स्टार्टअप कैश बर्न की नीति अपनाते हैं। इन दिनों यही ट्रेंड में है। यूजर्स की संख्या विशाल होने के कारण उनकी वैल्यूएशन भी काफी बढ़ जाती है।

फंडिंग को आवश्यक मानते हुए चिदंबरम कहते हैं, “एग्रीटेक स्टार्टअप को अन्य स्टार्टअप की तरह ही कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए। जैसे बाजार की संभावनाएं, मूल्य, आगे बढ़ने की रणनीति, यूनिट इकोनॉमिक्स और मुनाफा कमाने के तरीके जैसी बातें पूरी तरह स्पष्ट होनी चाहिए। टीम में सही व्यक्तियों का होना तो जरूरी है ही।”

वे कहते हैं, एक पहलू ऐसा भी है जो एग्रीटेक स्टार्टअप को दूसरों से अलग करता है। वह है सही निवेशकों का चयन। कुछ साल पहले तक एग्रीटेक स्टार्टअप के लिए फंड जुटाना बड़ी चुनौती थी, क्योंकि इस सेक्टर पर फोकस करने वाले वेंचर कैपिटलिस्ट बहुत थोड़े थे। हाल के वर्षों में स्थिति बदली है। वेंचर कैपिटलिस्ट एग्रीटेक स्टार्टअप को सीड फंडिंग से सीरीज राउंड की फंडिंग तक जुटाने में मदद कर रहे हैं।

उनका सुझाव है कि एग्रीटेक स्टार्टअप को शुरुआती दिनों में किसी एक्सेलरेटर प्रोग्राम से जुड़ना चाहिए। इससे उन्हें ट्रेंड का पता चलेगा, समान विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने का मौका मिलेगा तथा वे दुनियाभर के निवेशकों के संपर्क में आएंगे। “किसी एग्रीटेक स्टार्टअप के फंड जुटाने की सफलता सही निवेशकों के पास जाने पर निर्भर करती है जो आपके विजन और भविष्य की चुनौतियों को समझे, जिसे इंडस्ट्री का अनुभव हो, जिसके विचार आपके विचारों से मेल खाते हों और साथ ही जरूरत पड़ने पर मेंटरशिप भी उपलब्ध कराने को तैयार हो।”

अभी तक तीन सीरीज में लगभग 7.5 करोड़ डॉलर (लगभग 600 करोड़ रुपये) जुटाने वाली आर्य.एजी के सह-संस्थापक प्रसन्ना राव के मुताबिक, “इन्वेस्टर तीन बातों पर ध्यान देते हैं। पहला है यूनिट इकोनॉमिक्स, यह सबसे महत्वपूर्ण होता है। यूनिट इकोनॉमिक्स का मतलब है कि आप पैसा कैसे बनाएंगे। दूसरा, आप जो सॉल्यूशन लेकर आए हैं वह कितनी बड़ी समस्या का समाधान है। अगर आपका प्रोडक्ट कम लोगों को समाधान मुहैया कराता है तो निवेशक उसमें रुचि नहीं लेंगे। आपके प्रोडक्ट का बाजार बड़ा होना चाहिए। तीसरा, रणनीति पर अमल करने का तरीका भी सही होना चाहिए।”

भारत में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह 10 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका उपलब्ध कराने के साथ देश की जीडीपी में लगभग 20% योगदान करता है। इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं को देखते हुए चिदंबरम कहते हैं, “सरकार की मदद और वेंचर कैपिटलिस्ट के निवेश से एग्री स्टार्टअप ईकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है। देश में उत्पादन से लेकर फसल की कटाई के बाद वैल्यू चेन तक 1800 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। एग्री स्टार्टअप उन उद्यमियों के लिए एक दूरगामी अवसर है जो टेक्नोलॉजी के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं।”