अब राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी के साथ चुनावी विमर्श चाहता है चुनाव आयोग, महाराष्ट्र चुनाव के आरोपों के बाद बढ़ी गहमा-गहमी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों के बाद आयोग ने कांग्रेस के साथ एक बैठक बुलाई है। आयोग चाहता है कि राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेता इस बैठक में भाग लें ताकि चुनावी मुद्दों पर चर्चा की जा सके और उनके सवालों का जवाब दिया जा सके। यह बैठक 23 जून के बाद हो सकती है जिसमें आयोग कांग्रेस की राय जानना चाहता है।

अरविंद पांडेय। जागरण। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गड़बड़ियों को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा रहे है इसके बाद भी आयोग चाहता है कि कांग्रेस पार्टी के साथ उसकी होने वाली बैठक में पार्टी अध्यक्ष और दूसरे वरिष्ठ नेताओं के साथ नेता विपक्ष भी उस बैठक में शिरकत करें।
आयोग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जल्द ही इस लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अधिकारिक रूप से संपर्क किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी के साथ आयोग की यह बैठक 23 जून के बाद कभी भी हो सकती है।
आयोग चुनावी मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी की राय जानना चाहती है
चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी के साथ चुनावी विमर्श की यह तैयारी तब की है, जब वह बाकी के पांचों राष्ट्रीय दलों के साथ अलग-अलग चुनावी मुद्दों पर विमर्श कर चुकी है। इनमें भाजपा, बसपा, आप, सीपीआई (एम) व एनपीपी शामिल है। इन बैठकों में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, बसपा सुप्रीमो मायावती, आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल, एनपीपी अध्यक्ष कॉनराग संगमा व सीपीआई (एम) के शीर्ष नेतृत्व ने हिस्सा लिया था।
आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी के साथ ही उसकी बैठक 15 मई को प्रस्तावित थी, लेकिन आपरेशन सिंदूर के घटनाक्रम को देखते हुए कांग्रेस ने इस बैठक को स्थगित करने अनुरोध किया था।
ऐसे में आयोग जल्द ही चुनावी मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी की भी राय जानता चाहता है। ताकि वह उसे संतुष्ट करने की दिशा में आगे बढ़ सके। आयोग की मानें तो पहली बार आयोग की किसी बैठक में इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती भी शामिल हुई थी।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ की कई बैठकें
आयोग से जुड़े अधिकारिक सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी के साथ होने वाली बैठक में वह राहुल गांधी की इसलिए भी भागीदारी चाहता है क्योंकि चुनाव से जुड़े सबसे ज्यादा सवाल सार्वजनिक रूप से उनकी ओर से ही खड़े किए जा रहे है। आयोग चाहता है कि वह उन्हें बैठाकर उनके सवालों के तथ्यात्मक जवाब दें। साथ ही कोई नया सवाल भी खड़ा किया जाए, तो उसका भी जवाब दिया जाए।
सूत्रों का कहना है कि वे उनके सभी सवालों का पारदर्शिता के साथ जवाब देने को तैयार है, बशर्ते वह उनके साथ बैठे या फिर लिखित में उन्हें अपनी आपत्तियों से अवगत कराए।
गौरतलब है कि आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ चुनावी विमर्श की इस मुहिम की शुरूआत चुनावी व्यवस्थाओं पर खड़े किए जा रहे सवालों को देखते शुरू की है। इस दौरान वह राजनीतिक दलों के साथ भरोसे को बढ़ाने के लिए अब तक करीब 4719 बैठकें कर चुका है। इनमें से 3879 बैठकें विधानसभा स्तर पर हुई है, जबकि जिला व राज्य स्तर पर भी ऐसी ही बैठकें हुई है। इसमें सभी राजनीतिक दलों से जुड़े करीब 28 हजार प्रतिनिधियों से हिस्सा लिया है।
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