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    साल में दस दिन अब बगैर बस्ते के भी स्कूल जाएंगे बच्चे, शिक्षा मंत्रालय ने बैगलेस डे को लेकर जारी किए दिशा-निर्देश

    Updated: Mon, 29 Jul 2024 11:40 PM (IST)

    शिक्षा मंत्रालय ने अब बच्चों को बगैर बस्ते के भी साल में दस दिन स्कूल आने की पहल की है। बच्चों को साल में यह दस दिन स्कूल अपनी सुविधा को देखते हुए पांच- पांच दिन के दो चरणों में मुहैया कराएंगे। बच्चों को अब अपने करियर के लिए भी भटकना नहीं पड़ेगा। मंत्रालय के मुताबिक यह पहल स्कूल स्तर से ही काउंसलिंग का काम करेगी।

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    स्कूली बच्चों के लिए 10 दिन रहेंगे बैगलेस। फाइल फोटो।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूली बस्ते का बोझ कम करने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने अब बच्चों को बगैर बस्ते के भी साल में दस दिन स्कूल आने की पहल की है। मंत्रालय ने सोमवार को इसको लेकर एक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया है, जिसमें छठवीं से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को साल में दस दिन पढ़ाई के अतिरिक्त उनके व्यक्तित्व और कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा।

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    क्या है इसका उद्देश्य?

    बच्चों को साल में यह दस दिन स्कूल अपनी सुविधा को देखते हुए पांच- पांच दिन के दो चरणों में मुहैया कराएंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल के चार साल पूरे होने के मौके पर शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। इसका उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के बोझ से राहत देना है।

    साथ ही उनके विकास से जुड़ी अलग-अलग गतिविधियों से उन्हें जोड़ना भी शामिल है। उन्हें सेना और पुलिस कार्यालयों को दिखाने, स्थानीय उद्योगों का भ्रमण कराने, स्किल से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ने, किसी ऐतिहासिक स्थल, वन्यजीव अभयारण्य आदि का भ्रमण कराने जैसे सुझाव भी दिए है।

    बच्चों को कई गतिविधियों से जोड़ने की सिफारिश

    मंत्रालय ने इसके साथ ही समाज के साथ उनके जुड़ाव को बढ़ाने के उन्हें अपने आसपास के क्षेत्रों में सर्वे करने, जिसमें लोगों की समस्याओं की पहचान करने के साथ ही और उनकी जीवनशैली से जुड़ी खूबियों को सामने लाना शामिल है। इसके साथ ही बुजुर्गों और अपने अभिभावक का इंटरव्यू भी करने जैसी करीब 33 गतिविधियों से जोड़ने की सिफारिश की गई है

    गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी बच्चों के लिए साल में बगैर बस्ते के दस दिन सृजित करने की सिफारिश की गई थी। मंत्रालय इससे पहले बच्चों के ऊपर से पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए उनके बस्ते का बोझ भी कर दिया था। साथ ही इसे लेकर भी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।

    नहीं भटकेगा बचपन, मिलेगी करियर की सही राह

    बच्चों को अब अपने करियर के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पढ़ाई के दौरान बच्चों में करियर को लेकर देखे जाने वाले भटकाव को खत्म करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक अहम पहल की है। जिसमे अब उन्हें स्कूली स्तर पर ही करियर से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया कराई जाएगा। यानी वह किस कोर्स की पढ़ाई करके किस क्षेत्र में जा सकेंगे और वहां उन्हें किस तरह की नौकरी मिलेगी।

    शिक्षा मंत्रालय ने एनईपी के चार साल पूरे होने के मौके पर बच्चों के करियर से जुड़ा एक दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसमें करियर से जुड़े पांच सौ करियर कार्ड तैयार किए गए है। प्रत्येक कार्ड में बताया गया है कि किस विषय की पढ़ाई करने पर उनके लिए कौन-कौन से विकल्प खुलेंगे। कौन-कौन सी नौकरियां हासिल कर सकेंगे। वह इन नौकरियों के जरिए किसी ऊंचाई को छू सकेंगे।

    स्कूल स्तर से ही होगी काउंसलिंग

    मंत्रालय के मुताबिक यह पहल स्कूल स्तर से ही काउंसलिंग का काम करेगी। इससे उन्हें आगे चलकर भटकना नहीं होगा। वह अपने जीवन का राह आसानी से चुन सकेंगे। वैसे भी देश में इन दिनों रोजगार जिस तरह से एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, उनमें यह पहल आने वाले दिनों में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक बड़ी मददगार होगी। खासकर कमजोर और मध्यवर्ग से आने वाले छात्रों के करियर को संवारने में अहम साबित होगी। 

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