खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनेगा भारत... सरकार ने स्टॉक और इंपोर्ट की बढ़ाई निगरानी, जानिए क्या है प्लान
खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए केंद्र सरकार ने पारदर्शिता लाने और निगरानी बढ़ाने के लिए वनस्पति तेल उत्पाद उत्पादन एवं उपलब्धता (विनियमन) आदेश-2011 में संशोधन किया है। खाद्य तेल निर्माताओं एवं विक्रेताओं को अब हर महीने ऑनलाइन रिपोर्ट देना जरूरी होगा। इससे तेलों के उत्पादन स्टॉक एवं आयात पर सरकार की नजर रहेगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए प्रयासरत केंद्र सरकार ने इसके कारोबार में पारदर्शिता लाने और निगरानी बढ़ाने के लिए अहम कदम उठाया है। उपभोक्ता मंत्रालय ने वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन एवं उपलब्धता (विनियमन) आदेश-2011 में संशोधन किया है, जिसके बाद खाद्य तेल निर्माताओं एवं विक्रेताओं को अब प्रत्येक महीने ऑनलाइन रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है।
इससे तेलों के उत्पादन, स्टॉक एवं आयात पर सरकार की कड़ी नजर बनी रहेगी। यह संशोधन आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत तैयार पुराने आदेश को वर्तमान जरूरतों के अनुसार अपडेट करने की दिशा में एक अहम प्रयास है। 2014 में वनस्पति तेल आयात एवं उपभोक्ता मामलों से जुड़ा सांख्यिकी निदेशालय के विलय के बाद हुए संस्थागत बदलाव और सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के प्रावधानों को भी इसमें शामिल किया गया है।
खाद्य तेल क्षेत्र में डेटा संग्रहण प्रणाली होगी मजबूत
इसका मकसद खाद्य तेल क्षेत्र में डेटा संग्रहण प्रणाली को मजबूत बनाना है। सरकार का मानना है कि घरेलू उत्पादन, स्टॉक और आयात की सही और समय पर जानकारी मिलने से नीतिगत फैसले लेना आसान होगा। जरूरत महसूस होने पर आयात शुल्क में बदलाव या आयात को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे खुदरा कीमतों को स्थिर रखने और पूरे देश में खाद्य तेल की उपलब्धता सुधारने में मदद मिलेगी।
इस पहल के तहत पोर्टल को भी अपग्रेड कर उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है। संशोधित आदेश के तहत सभी खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ता, निर्माता और रीपैकर को अनिवार्य रूप से पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। साथ ही मासिक डेटा भी प्रस्तुत करना होगा।
इस फैसले को एफएसएसएआई, पशुपालन विभाग और खाद्य तेल उद्योग संघों का भी समर्थन मिला है। सरकार को उम्मीद है कि इससे साक्ष्य आधारित नीति निर्माण, बाजार की पारदर्शिता और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा लक्ष्य को मजबूती मिलेगी।
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