नेशनल हेराल्ड केस में ED को फिर जगी उम्मीद, अदालत के आदेश के बाद केस मजबूत करने में जुटे अधिकारी
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट खारिज होने पर ईडी इसे तात्कालिक झटका मान रही है। ईडी दिल्ली पुलिस द्वारा नई चार्जश ...और पढ़ें

दिल्ली पुलिस अपनी जांच के आधार पर एक नई चार्जशीट दाखिल करेगी (फाइल फोटो)
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) के अस्वीकार करने को ईडी सिर्फ तात्कालिक झटका मान रही है। ईडी के अनुसार दिल्ली पुलिस अपनी जांच के आधार पर एक नई चार्जशीट दाखिल करेगी, जिससे मनी लांड्रिंग का मजबूत केस खड़ा हो सकेगा।
अदालत द्वारा सिर्फ तकनीकी आधार पर चार्जशीट को अस्वीकार किया गया। उसमें दिये गए तथ्यों व सबूतों पर सवाल नहीं उठाया। ईडी इसे अपने पक्ष में मान रही है। दरअसल अदालत का फैसला आने के पहले ही ईडी को सुब्रह्मण्यम स्वामी की शिकायत पर केस कमजोर होने की आशंका सताने लगी थी। भले ही सुब्रह्मण्यम स्वामी पूरे मामले को लेकर 2013 पटियाला हाऊस कोर्ट में शिकायत दाखिल की और अदालत ने उस पर संज्ञान भी ले लिया।
जस का तस पड़ा केस
यही नहीं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के संज्ञान पर मुहर भी लगा दी। लेकिन उसके बाद 12 सालों में केस जस का तस पड़ा हुआ है और जिरह तो दूर गवाहों के बयान तक दर्ज नहीं हुए हैं। यही नहीं, पूरा केस सिर्फ एक आपराधिक साजिश के तहत नेशनल हेराल्ड की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा हथियाने पर केंद्रित था।
जबकि ईडी की जांच में 2017-18 में भी नेशनल हेराल्ड में लगभग 80 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग के सबूत मिल चुके हैं। ईडी ने दिल्ली पुलिस को इस पहलू की भी जांच में शामिल करने को कहा है। जाहिर है ईडी को नेशनल हेराल्ड केस में हुई मनी लांड्रिंग के सबूत पर भरोसा है और अदालत ने भी उसपर सवाल नहीं उठाया है। ईडी इसे मनी लांड्रिंग का पुख्ता (ओपन एंड शट) केस मान रही है।
दिल्ली पुलिस कर रही जांच
दिल्ली पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसकी जानकारी भी अदालत को है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली पुलिस इस मामले की तेजी से जांच कर रही है और एसोसिएट जर्नल लिमिटेड के शेयर होल्डर के उत्तराधिकारियों से पूछताछ कर रही है। एसोसिएट जर्नल ही नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज का प्रकाशन करता था। उनमें अधिकांश के बयान दर्ज किये जा चुके हैं। दरअसल 1937 में एसोसिएट जर्नल लिमिटेड की स्थापना के समय सैंकड़ों लोगों ने योगदान दिया था और उनका नाम शेयर होल्डर में है।
इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीस मार्केंडेय काटजू और वकील प्रशांत भूषण का परिवार भी शामिल हैं। एसोसिएट जर्नल के शेयर को यंग इंडिया में दिये जाते समय इनमें किसी की सहमति नहीं ली गई। यंग इंडिया में 38-38 फीसद शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हैं। फिलहाल ईडी ने दिल्ली पुलिस की जांच पूरी होने और आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट किये जाने का इंतजार करने का फैसला किया है।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के बाद ईडी मौजूदा चार्जशीट को ही नए सिरे से दाखिल करेगी। वैसे तात्कालिक रूप से ईडी ने तकनीकी आधार पर चार्जशीट को अस्वीकार किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती भी देगी। इसके लिए ईडी विभिन्न अदालतों के फैसलों का हवाला दे रही है, जिनमें अदालत में संज्ञान लिये जाने को मनी लां¨ड्रग का पर्याप्त आधार होने की बात कही गई है।

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