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    बंगाल में आठ जगहों पर ईडी की छापेमारी और एक गिरफ्तारी, क्या है मामला?

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 11:53 PM (IST)

    ईडी ने बंगाल में मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति रैकेट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई ठिकानों पर छापेमारी की। बिधाननगर, कोलकाता और सिलीगुड़ी में पीएमएलए के तहत कार्रवाई हुई। आरोप है कि आरोपियों ने महिलाओं को नौकरी का झांसा देकर वेश्यावृत्ति में धकेला और अवैध धन को सफेद किया। रेत तस्करी मामले में व्यवसायी अरुण सराफ को गिरफ्तार किया गया, जिनके घर से 29 लाख रुपये बरामद हुए। उन पर भ्रष्टाचार और हवाला के जरिये धन भेजने का आरोप है।

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    बंगाल में ईडी की छापेमारी।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। ईडी ने बंगाल में कुछ बार और रेस्तरां में संचालित मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के संगठित रैकेट से जुड़े धन शोधन के मामले की जांच के तहत शुक्रवार को कई स्थानों पर एक साथ छापेमारी की।

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    अधिकारियों ने बताया कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रविधानों के तहत बिधाननगर (उत्तर 24 परगना जिला), कोलकाता और सिलीगुड़ी में आठ परिसरों पर छापे मारे। धन शोधन का यह मामला राज्य पुलिस द्वारा जगजीत सिंह, अजमल सिद्दीकी, बिष्णु मुंद्रा और अन्य आरोपितों के खिलाफ दर्ज की गई कई प्राथमिकियों और आरोप पत्रों से जुड़ा है।

    क्या है आरोप?

    अधिकारियों के अनुसार, आरोपितों ने नौकरी दिलाने का झूठा वादा करके महिलाओं का शोषण किया और बड़ी मात्रा में अवैध धन जुटाने के लिए उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेला। अधिकारियों ने आरोप लगाया कि नकद में प्राप्त करोड़ों रुपयों को आरोपितों के नियंत्रण वाली कई कंपनियों के माध्यम से सफेद किया गया।

    रेत तस्करी मामले में व्यवसायी गिरफ्तार

    ईडी ने रेत तस्करी मामले में बंगाल के व्यवसायी अरुण सराफ को गिरफ्तार किया है। रेत तस्करी में यह पहली गिरफ्तारी है। गुरुवार सुबह ईडी ने जीडी माइनिंग के पूर्व निदेशक को पूछताछ के लिए बुलाया था। जांचकर्ताओं को अरुण सराफ के बयान में कोई एकरूपता नहीं मिली। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

    ईडी की टीम ने सराफ के हावड़ा से सटे बाली स्थित घर पर छापा मारा। घर से कुल 29 लाख रुपये बरामद किए। सराफ पर 78 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ईडी का आरोप है कि वह रेत खदानों की लीज कानूनी रूप से लेते थे, लेकिन खनन के दौरान नियमों का उल्लंघन कर निर्धारित सीमा से अधिक रेत की खुदाई कराते थे।

    अवैध रेत व बालू बिक्री से प्राप्त धनराशि उनके कई खातों में जमा की जाती थी और बाद में हवाला के जरिये विदेश भेजी जाती थी। उन्होंने 103 करोड़ रुपये की रेत बेची, खाते में 130 करोड़ रुपये आए। उन्होंने नकली ई-चालान का इस्तेमाल किया। आरोप है कि अरुण की कंपनी 2024 से 2025 तक कुल 60 करोड़ रुपये का कोई हिसाब-किताब नहीं दिखा सकी।

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