'....ताकि कोई बच्चा पढ़ाई से न छूटे', जन्म से ही बच्चों की ट्रैकिंग शिक्षा और पोषण पर सरकार का नया कदम
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब जन्म लेते ही बच्चों की पोषण और पढ़ाई की ट्रैकिंग होगी। तीन साल की उम्र पूरी होने पर उन्हें बालवाटिका या आंगनबाड़ी में दाखिला दिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने UIDAI और महिला बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर यह योजना बनाई है जिससे कोई भी बच्चा पोषण और शिक्षा से वंचित न रहे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब घर-घर जाकर स्कूलों में पढ़ने योग्य बच्चों की तलाश नहीं होगी बल्कि जन्म लेने के साथ ही उनके पोषण और पढ़ाई को लेकर ट्रैकिंग शुरू हो जाएगी। इस दौरान जैसे ही वह तीन साल की उम्र पूरी करेंगे, उन्हें तुरंत ही पास के किसी प्री-प्राइमरी स्कूल (बालवाटिका या आंगनबाड़ी) में दाखिला दिया जाएगा। जहां उनके पोषण और पढ़ाई दोनों का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तीन साल की उम्र पूरी होते ही प्रत्येक बच्चों को स्कूल सिस्टम (बालवाटिका या आंगनबाड़ी) से जोड़ना है। शिक्षा मंत्रालय ने महिला बाल विकास मंत्रालय, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ( यूआईडीएआई) और राज्यों के जन्म पंजीयन विभाग के साथ मिलकर जन्म लेते ही बच्चों के ट्रैकिंग की यह योजना बनाई है।
इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में यूआईडीएआई के साथ भी चर्चा की है। मंत्रालय के मुताबिक इस पहल से कोई भी बच्चा न तो पोषण से वंचित रहेगा न ही पढ़ाई है।
बच्चों के पढ़ाई और विकास के लिए नई पहल
मौजूदा समय में स्कूलों में पीएम पोषण और आंगनबाड़ियों में महिला व बाल विकास के सहयोग के बच्चों को पढ़ाने के साथ ही पोषणयुक्त भोजन भी दिया जाता है। इस योजना पर काम कर रहे मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इसका उद्देश्य बच्चों को तीन साल की उम्र होते ही स्कूलों से जोड़ना है। इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चे जैसे ही तीन साल की उम्र पूरी करने वाले होंगे, उन सभी का ब्यौरा संबंधित स्कूल या आंगनबाड़ियों को भेज दिया जाएगा। जो अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें तुरंत अपने यहां दाखिला देंगे।
आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों को मिले स्कूल में दाखिला
मंत्रालय की यह भी योजना है कि बालवाटिका या आंगनबाड़ी में आने वाले प्रत्येक बच्चों को भी स्कूलों के दूसरे बच्चों की तरह अपार ( आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री ) नंबर से लैस किया जाए। ताकि उनकी पढ़ाई व विकास की ट्रैकिंग की जा सके।
कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहेगा
इस पहल से जन्म लेने वाला कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहेगा। साथ ही कक्षा में सभी की उम्र भी एक समान रहेगी। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता को भी ठीक तरीके से मापा जा सकेगा। गौरतलब है कि अभी जन्म लेने वाले काफी बच्चे तीन साल की उम्र तक स्कूली सिस्टम से नहीं जुड़ पाते है।
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