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सबको स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाला डूंगरपुर स्वच्छता सूची से गायब, लोगों ने जताई आपत्ति

राजस्थान सरकार ने नगर परिषद के चेयरमैन केके गुप्ता को प्रदेश का स्वच्छता दूत बनाया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 07:35 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 12:21 AM (IST)
सबको स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाला डूंगरपुर स्वच्छता सूची से गायब, लोगों ने जताई आपत्ति

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, डूंगरपुर (राजस्थान)। कागजों की खानापूरी में चूक होने से चकाचक होने के बावजूद राजस्थान के आदिवासी बहुल बांगड़ क्षेत्र का डूंगरपुर नगर स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट में जगह नहीं बना पाया है। इससे हैरान नगर परिषद और समूचे नगरवासियों को इसका बहुत मलाल है। देश में ऐसे कई नगर निकाय हैं, जिन्हें इस पर आपत्ति है, लेकिन शहरी विकास मंत्रालय इससे सहमत नहीं है। उसका कहना है कि सफाई सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए ठोस ढांचागत तैयारियां होनी चाहिए।

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निर्मल झील व साफ सुथरा होने के बावजूद स्वच्छता सूची से हो गया बाहर

स्वच्छता के साथ कूड़ा-कचरा प्रबंधन में अव्वल है। यहां कूड़े का पहाड़ नहीं है, बल्कि इनका कूड़ा छांटने के बाद औसतन छह रूपये प्रति किलो के भाव बिक जाता है। कई लोगों को काम मिल गया है। शत प्रतिशत स्वच्छता कायम करने के तहत शहर के बीच स्थित पांच सात किलोमीटर दायरे में फैली गैब सागर झील की सफाई काबिले तारीफ है। बीच में बने बादल महल को म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है।

नगर परिषद के चेयरमैन केके गुप्ता और उनकी टीम की मेहनत से डूंगरपुर को राजस्थान का पहला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) शहर घोषित किया गया। राज्य सरकार ने गुप्ता को प्रदेश का स्वच्छता दूत बनाया है। राज्य ही नहीं, दूसरे राज्यों के निकायों के लोग भी यहां के कूड़ा प्रबंधन को देखने और सीखने आते हैं।

सबको स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाला डूंगरपुर जब राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता में बेहतर करने वाले शहरों की सूची में जगह नहीं बना पाया तो आश्चर्य और नाराज होना स्वाभाविक था। गुप्ता का दावा है कि डूंगरपुर किसी भी हाल में इंदौर और भोपाल से पीछे नहीं है।

नगर परिषद के 50 हजार लोगों ने केंद्र व राज्य सरकार से जताई आपत्ति

नगर परिषद के 50 हजार से अधिक लोगों ने केंद्र व राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर अपनी आपत्ति जताई। चेयरमैन गुप्ता बताते हैं कि आदिवासी नागरिकों के व्यवहार को बदलना आसान नहीं था। शौच के लिए जंगलों में जाने वाली यहां की बड़ी आबादी को समझाना बड़ी चुनौती थी, जिसे स्थानीय लोगों के प्रयास से आसानी से सुलझा लिया गया। शहर में सफाई आधी रात को शुरु होती है। अल सुबह मशीन से सफाई की जाती है। स्वच्छता अभियान में लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है।

शहर की स्वच्छ तस्वीर के लिए उसके प्रमुख सामुदायिक स्थलों में सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है। बस अड्डा, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में शौचालयों की सफाई का बंदोबस्त नगर परिषद ही करती है। इसकी निगरानी का दायित्व शहर के उत्साही नागरिकों को सौंपा गया है, जो शहर के समाजसेवी हैं।

प्रधानमंत्री कर चुके हैं डूंगरपुर में सौर ऊर्जा वाली महिलाओं से बातचीत

डूंगरपुर नगर परिषद का नाम उस समय सुर्खियों में आया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां की स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं से सीधी बातचीत की थी। इन महिलाओं ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर किया है। अब दूसरे राज्यों की महिला समूह भी यहां प्रशिक्षण के लिए आने लगी हैं। 


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