आदिवासी संस्कृति सहित देशभर में विरासत का दस्तावेजीकरण करेंगी ग्राम पंचायतें, 4 राज्यों में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट
पंचायतीराज मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने विरासत, संस्कृति और परंपराओं के दस्तावेजीकरण की योजना बनाई है, जिसमें जनजातीय समुदाय की विरासत-संस्कृति पर ...और पढ़ें

संस्कृति और परंपराओं के दस्तावेजीकरण की रूपरेखा तैयार (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंच प्रण में विरासत संरक्षण भी शामिल है। पीएम के इसी प्रण से प्रेरणा लेते हुए पंचायतीराज मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने देशभर में विरासत, संस्कृति और परंपराओं के दस्तावेजीकरण की रूपरेखा बना ली है। इनमें जनजातीय समुदाय की विरासत-संस्कृति पर विशेष जोर है।
चार राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें से हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले का प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है, जिसकी ई-बुक का विमोचन विशाखापत्तनम में 23-24 दिसंबर को आयोजित राष्ट्रीय पेसा महोत्सव में किया जा रहा है। देशभर में आदिवासी बहुल दस राज्य पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 के दायरे में आते हैं।
मोदी सरकार का विशेष जोर
कानून पहले से है, लेकिन इसे लागू कराने में मोदी सरकार ने विशेष जोर दिया है। इसके तहत ही प्रत्येक वर्ष 24 दिसंबर को पेसा महोत्सव राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाता है। महोत्सव में दस पेसा राज्यों आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना के आदिवासी, विशेष तौर पर युवा, जनप्रतिनिधि और अधिकारी शामिल हो रहे हैं।
इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की ई-बुक का विमोचन किया जाएगा, जिसके माध्यम से आदिवासियों के ज्ञान, परंपरा, संस्कृति व विरासत का दस्तावेजीकरण किया गया है। पेसा महोत्सव में तमाम खेल गतिविधियों के साथ ही उन पारंपरिक खेलों पर फोकस है, जो कि विलुप्त होते जा रहे हैं। दस राज्यों से आने वाले युवा वहां ऐसे ही अनूठे पारंपरिक खेलों का भी प्रदर्शन करेंगे। सरकार उनके भी संरक्षण-प्रोत्साहन की कार्ययोजना बनाएगी।

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