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    शाह की बैठक ने पिघलाई बर्फ, आठ महीने बाद भाजपा के मंच पर नजर आए दिलीप घोष

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 07:39 PM (IST)

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कोलकाता यात्रा के दौरान दिलीप घोष आठ महीने बाद भाजपा के मुख्य कार्यक्रमों में शामिल हुए। साल्टलेक में हुई बैठक में शाह ...और पढ़ें

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    दिलीप घोष आठ महीने बाद भाजपा के मंच पर लौटे

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल भाजपा की अंदरूनी राजनीति में पिछले कई महीनों से जारी अनिश्चितता के बादल अब छंटते नजर आ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कोलकाता यात्रा के दौरान साल्टलेक के एक निजी होटल में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में दिलीप घोष की उपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है।

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    लगभग आठ महीने तक पार्टी के मुख्य कार्यक्रमों से दूर रहने के बाद, घोष का इस उच्च स्तरीय बैठक में शामिल होना राज्य इकाई के भीतर 'बर्फ पिघलने' के स्पष्ट संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

    दिलीप घोष आठ महीने बाद भाजपा के मंच पर लौटे

    अपनी यात्रा के दूसर दिन शाह ने दिलीप घोष, प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य,नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के साथ अलग से बैठक की। खबर है कि इस दौरान अमित शाह ने चारों नेताओं को साथ मिलकर एकजुटता के साथ काम करने को कहा है।

    विवादों की शुरुआत तब हुई थी जब घोष ने दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी और उसके बाद विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था।

    अमित शाह ने बंगाल भाजपा नेताओं को एकजुटता का संदेश दिया

    इन घटनाओं के बाद उन्हें प्रधानमंत्री की बैठकों और यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित सम्मेलन से भी दूर रखा गया था। हालांकि, इस बार स्थिति बदली हुई दिखी।

    सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक सुनील बंसल ने खुद मंगलवार रात दिलीप घोष को फोन कर बैठक का निमंत्रण दिया, जो उनके प्रति केंद्रीय नेतृत्व के बदलते रुख को दर्शाता है।

    केंद्रीय नेतृत्व दिलीप घोष को फिर मुख्यधारा में ला रहा है

    बैठक के बाद दिलीप घोष के तेवर भी बदले हुए और संयमित नजर आए। मीडिया द्वारा आगामी 2026 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के सवाल पर उन्होंने बेहद सतर्कता से जवाब दिया।

    उन्होंने स्पष्ट किया कि वे केवल शीर्ष नेतृत्व की बातें सुनने गए थे और पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे।

    हालांकि उन्होंने बैठक के विवरण पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, लेकिन जानकारों का मानना है कि चुनाव से पहले भाजपा अपने सबसे पुराने और जुझारू चेहरे को दोबारा मुख्यधारा में लाकर संगठन को मजबूती देना चाहती है।