बीकानेर में क्यों लगे थे 'गुमशुदा' के पोस्टर, धर्मेंद्र के सियासी सफर का दिलचस्प किस्सा
Dharmendra Political Career: बॉलीवुड के 'ही-मैन' धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने 2004 में राजस्थान के बीकानेर से भाजपा सांसद के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। उन्होंने 2009 में राजनीति छोड़ दी, यह कहते हुए कि यह उनके लिए सही जगह नहीं है।
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धर्मेंद्र का 89 साल की उम्र में निधन। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड के 'ही-मैन' कहे जाने वाले धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं रहे। 89 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली है। धर्मेंद्र के निधन से न सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। फिल्मों से लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले धर्मेंद्र वैसे तो पंजाब से हैं, मगर बहुत कम लोगों को पता है कि राजस्थान से भी उनका अनोखा रिश्ता है।
धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बीकानेर सीट से वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से हराया था। हालांकि, इसके बाद धर्मेंद्र ने सियासत से दूरी बना ली और फिर कभी चुनाव नहीं लड़ा।
2004 में बने सांसद
धर्मेंद्र ने 2004 में राजस्थान की बीकनेर सीट से राजनीति में कदम रखा था। बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे धर्मेंद्र ने कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर डूडी को करारी टक्कर दी थी। इस सीट पर मुकाबला कांटे का था। ऐसे में धर्मेंद्र की तरफ से उनके दोनों बेटे सनी देओल और बॉबी देओल ने भी बीकानेर में प्रचार किया था। नतीजतन पहले ही चुनाव में धर्मेंद्र ने बंपर जीत हासिल की और रामेश्वर डूडी को 57 हजार वोटों से शिकस्त दी थी।

धर्मेंद्र से नाराज हुए लोग
सांसद बनने के बाद भी राजनीति में धर्मेंद्र का सफर आसान नहीं था। चुनाव जीतने के महज एक साल बाद ही बीकानेर में धर्मेंद्र के 'गुमशुदा' के पोस्टर लग गए। इसकी वजह थी अपने संसदीय क्षेत्र से धर्मेंद्र की दूरी। दरअसल चुनाव जीतने के बाद धर्मेंद्र एक साल तक बीकानेर नहीं गए, जिससे नाराज होकर लोगों ने पूरे शहर में उनके पोस्टर लगा दिए।
सूरसागर को संवारा
इस घटना के कुछ दिन बाद ही धर्मेंद्र ने बीकानेर का दौरा किया और बिना सिक्योरिटी के सर्किट हाउस में रहकर लोगों की समस्याएं सुनीं। बीकानेर के मशहूर सूरसागर को फिर से खूबसूरत बनाने में भी धर्मेंद्र का अहम योगदान था। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सूरसागर की मरम्मत की बात की और बजट कम पड़ने पर केंद्र का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, सूरसागर संवारने का पूरा श्रेय वसुंधरा राजे को मिला और धर्मेंद्र के लिए लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई।

राजनीतिक से कर लिया किनारा
राजनीति धर्मेंद्र को रास नहीं आई और 5 साल सांसद रहने के बाद धर्मेंद्र ने सियासत से किनारा कर लिया। 2009 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और हमेशा के लिए मुंबई लौट गए। धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी उत्तर प्रदेश के मथुरा से सांसद हैं। उनके बेटे सनी देओल भी पंजाब के गुरदासपुर सीट से सांसद रह चुके हैं।
बीकानेर से सांसद बनने के बाद धर्मेंद्र ने फिर कभी सियासी गलियारों में कदम नहीं रखा। इसकी वजह बताते हुए धर्मेंद्र ने कहा था कि यह जगह उनके लिए नहीं है। बतौर सांसद उन्होंने बीकानेर के लोगों के लिए काफी काम किया, लेकिन इसका श्रेय हमेशा किसी और को मिला।

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