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    '24 घंटे में मिल जाएगी जानकारी, सबसे बड़े बैंक को ढाल बना रही मोदी सरकार', चुनावी बॉन्ड को लेकर खरगे का केंद्र पर हमला

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर कांग्रेस का मानना है कि यह अपारदर्शी अलोकतांत्रिक और समान अवसर को नष्ट करने वाली है। दरअसल मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्देश दिया कि एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करना होगा।

    By Agency Edited By: Shalini Kumari Updated: Tue, 05 Mar 2024 12:25 PM (IST)
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    मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी बॉन्ड को लेकर केंद्र पर बोला हमला (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने के लिए अधिक समय मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर केंद्र पर हमला बोला। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।

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    30 जून तक मांगा समय

    भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी है। पिछले महीने अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने एसबीआई को 6 मार्च तक चुनाव पैनल को विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

    खरगे ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर कांग्रेस का मानना है कि यह अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक और समान अवसर को नष्ट करने वाली है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।"

    भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड की काला धन रूपांतरण योजना को असंवैधानिक, आरटीआई का उल्लंघन और अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही, एसबीआई को 6 मार्च तक दानकर्ता का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था। खरगे ने कहा, "बीजेपी चाहती है कि यह लोकसभा चुनाव के बाद किया जाए। इस लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म होगा और एसबीआई 30 जून तक डेटा साझा करना चाहता है।"

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, खरगे ने आरोप लगाया कि भाजपा इस धोखाधड़ी वाली योजना की मुख्य लाभार्थी है। उन्होंने पूछा, "क्या सरकार आसानी से भाजपा के संदिग्ध सौदों को नहीं छिपा रही है, जहां राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बिजली संयंत्रों आदि के अनुबंध इन अपारदर्शी चुनावी बॉन्डों के बदले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों को सौंप दिए गए थे।" उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, "अब हताश मोदी सरकार, तिनके का सहारा लेकर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विफल करने के लिए एसबीआई का उपयोग करने की कोशिश कर रही है!"

    कांग्रेस सांसद ने सुप्रीम कोर्ट से किया आग्रह

    वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी सरकार पर निशाना साधा और सुप्रीम कोर्ट से एसबीआई की याचिका को अनुमति नहीं देने का आग्रह किया।

    तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "सुप्रीम कोर्ट को @TheOfficialSBI को चुनावी बॉन्ड पर अपनी चालाकी से बच निकलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।" तिवारी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को दाता की असली पहचान उजागर करने के लिए एसपीवी के चुनावी ट्रस्टों के कॉर्पोरेट पर्दे को हटाने का आदेश देना चाहिए।"

    चुनाव से पहले जानकारी सार्वजनिक करने की मांग

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की थी और इसे लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का असली चेहरा छिपाने का आखिरी प्रयास करार दिया था।

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा, "नरेंद्र मोदी ने चंदा कारोबार को छिपाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है।" उन्होंने कहा, "जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड के बारे में सच्चाई जानना देश के लोगों का अधिकार है, तो फिर एसबीआई क्यों नहीं चाहता कि यह जानकारी चुनाव से पहले सार्वजनिक की जाए?"

    बैंक की ओर से दाखिल हुई याचिका

    बैंक की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कड़े कदमों के कारण कि दानदाताओं की पहचान गुमनाम रखी जाए, चुनावी बॉन्ड को डिकोड करना और दानकर्ताओं द्वारा दिए गए दान का मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया होगी। बॉन्ड जारी करने से संबंधित डेटा और बॉन्ड के मोचन से संबंधित डेटा को दो अलग-अलग साइलो में दर्ज किया गया था। कोई केंद्रीय डेटाबेस नहीं रखा गया था।

    याचिका में कहा गया है, "दाता का विवरण निर्दिष्ट शाखाओं में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था और ऐसे सभी सीलबंद लिफाफे आवेदक बैंक की मुख्य शाखा में जमा किए गए थे, जो मुंबई में स्थित है।"

    15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को किया रद्द

    एक ऐतिहासिक फैसले में, जिसने सरकार को बड़ा झटका दिया, सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। दरअसल, कोर्ट का , यह कहते हुए कि यह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

    लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने एसबीआई को छह साल पुरानी योजना के योगदानकर्ताओं के नाम चुनाव आयोग को बताने का आदेश दिया था।

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    मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्देश दिया कि एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करना होगा। जानकारी में नकदीकरण की तारीख और बॉन्ड का मूल्य शामिल होना चाहिए और 6 मार्च तक चुनाव पैनल को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

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