Air Pollution: 37 वर्ग किमी में एक स्टेशन, कैसे मिलेगी वायु गुणवत्ता की सटीक जानकारी? IIT कानपुर ने दिया ये सुझाव
Delhi NCR Air Pollution पर्यावरणविद विमलेंदु झा का कहना है कि 37 वर्ग किमी एक लंबा क्षेत्र होता है। ऐसे में एक स्टेशन से इतने लंबे क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले क्षेत्रों की पहचान नहीं की जा सकती है। यही वजह है कि सीपीसीबी और दूसरे एजेंसियों के एक्यूआइ में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। दिल्ली में मौजूदा समय में सबसे ज्यादा प्रदूषण बाहरी दिल्ली में है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के अपने आंकड़े पर कायम है लेकिन हकीकत यह है कि वायु गुणवत्ता को मापने वाले उसके स्टेशन उन क्षेत्रों में लगे ही नहीं है जहां से वायु प्रदूषण ज्यादा पैदा हो रहा है। यही वजह है कि वायु प्रदूषण को थामने के सालों से चल रहे सभी प्रयास विफल होते दिख रहे है।
दिल्ली में लगे हैं कुल 40 स्टेशन
वैसे भी सीपीसीबी, डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) व आईएमडी ( भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) के वायु गुणवत्ता को मापने के दिल्ली में जो 40 स्टेशन लगे है, उनमें से ज्यादातर ऐसी जगहों और परिसरों में स्थापित है, जहां किसी तरह की प्रदूषण होता ही नहीं है। या फिर वह प्रदूषण फैलाने वाले क्षेत्रों से वह काफी दूर है।
यहां लगे हैं वायु गुणवत्ता को मापने वाले स्टेशन
इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता को मापने वाले स्टेशन सीआरआरआई मथुरा रोड़, डीटीयू, डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज, पूसा रोड, आरके पुर, अरविंदो मार्ग, लोदी रोड, मेजर ध्यान चंद्र स्टेडियम, मंदिर मार्ग, जेएनयू स्टेडियम, रोहणी, शादीपुर, सिरीफोर्ट, वजीरपुर, बवाना, आनंद विहार और द्वारका आदि जगहों पर लगी है।
प्रत्येक 37 वर्ग किलोमीटर पर एक स्टेशन
वायु प्रदूषण पर काम कर रहे विशेषज्ञों की मानें तो करीब 15 सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले दिल्ली में मौजूदा समय में 40 स्टेशन है। यानी करीब प्रत्येक 37 वर्ग किलोमीटर पर एक स्टेशन आता है।
मॉनिटरिंग स्टेशन बढ़ाने का प्रस्ताव
ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि 37 वर्ग किमी के क्षेत्र में किस क्षेत्र से सर्वाधिक प्रदूषण पैदा हो रहा है। खासबात यह है कि आईआईटी कानपुर ने भी दिल्ली के वायु प्रदूषण को रोकने से जुड़े प्लान में मॉनिटरिंग स्टेशन बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था।
जमीन पर मुस्तैदी से काम करने की जरूरत
सीपीसीबी के पूर्व सदस्य और वायु गुणवत्ता पर लंबे समय से काम कर रहे वैज्ञानिक दीपांकर साहा का मानना है कि वायु प्रदूषण पैदा होने वाले क्षेत्रों की सटीक जानकारी हासिल करने के लिए ज्यादा स्टेशन होने चाहिए, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है कि जो आंकड़े मिल रहे है उसके आधार पर जमीन पर मुस्तैदी से काम करने की। क्योंकि मौजूदा समय में जो स्टेशन लगाए गए है उसका मकसद सिर्फ वायु गुणवत्ता की मोटे तौर जानकारी रखने के लिए है।
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