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    समलैंगिक विवाह पर दिल्ली के वकीलों को सुप्रीम कोर्ट के बजाय विधायिका पर भरोसा

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Mon, 24 Apr 2023 10:36 PM (IST)

    यह मुद्दा क्योंकि सामाजिक मानदंडों मूल्यों और मान्यताओं में गहराई से उलझा हुआ है ऐसे में समाज को बाहर रखकर लिया गया कोई भी निर्णय बेअसर हो सकता है और इसके प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं। ( जागरण - फोटो)

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    इस मुद्दे पर सावधानी से विचार और सार्वजनिक बहस की जरूरत बल दिया गया है।

    नई दिल्ली, पीटीआई। समलैंगिक विवाह पर उच्चतम न्यायालय की सक्रियता से सरकार ही नहीं बल्कि वकील भी नाखुश दिख रहे हैं। बार काउंसिल इंडिया के बाद अब दिल्ली की सभी जिला न्यायालय बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने भी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को उसकी सीमाएं बताई हैं।

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    बता दें कि समिति ने सोमवार को प्रस्ताव पारित करके कहा कि समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होने के बजाय इसका फैसला विधायिका द्वारा किया जाना चाहिए।

    समाज बदलने वाले मुद्दों पर संसद में हो चर्चा

    समिति के अनुसार, समाज को बड़े स्तर पर प्रभावित करने की संभावना वाले मुद्दों पर संसद में चर्चा और बहस होना बेहद महत्वपूर्ण है। यह मुद्दा क्योंकि सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और मान्यताओं में गहराई से उलझा हुआ है, ऐसे में समाज को बाहर रखकर लिया गया कोई भी निर्णय बेअसर हो सकता है और इसके प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं।

    इस मुद्दे पर सावधानी से विचार और सार्वजनिक बहस की जरूरत बल दिया गया है। प्रस्ताव में आगे बल दिया गया है कि विवाह का विनियमन और वैधीकरण विधायिका द्वारा ही तय किया जा सकता है क्योंकि ऐसा होने पर इसमें सभी संबंधित हितधारकों का परामर्श शामिल हो पाएगा।

    न्यायिक व्याख्या के बजाय व्यापक परामर्श की जरूरत

    इसके अलावा यह भी कहा गया है कि इस मुद्दे को मात्र न्यायिक व्याख्याओं के माध्यम से तय नहीं किया जा सकता है। इसके लिए अधिक व्यापक परामर्श प्रक्रिया की जरूरत है। इसलिए इस मुद्दे को संसद भेजा जाना चाहिए ताकि इस पर व्यापक परामर्श हो सके।

    प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि विवाह से संबंधित विभिन्न कानूनों का मसौदा तैयार करते समय विधायिका ने कभी भी समलैंगिक विवाह पर विचार नहीं किया है। इसलिए, 'विधायी मंशा' की व्याख्या करने का कोई भी न्यायिक प्रयास निरर्थक हो जाएगा।