दीवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का कहर, स्थिति पर याचिकाकर्ताओं की पैनी निगाह; उठाएंगे ये कदम
दिवाली पर ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है। पटाखों पर प्रतिबंध की मांग करने वाले याचिकाकर्ता स्थिति पर नजर रख रहे हैं। उनका कहना है कि वे वायु प्रदूषण के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेंगे। उनका मानना है कि ग्रीन पटाखों की आड़ में अन्य पटाखे भी चलाए गए, जिससे प्रदूषण बढ़ा।
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दिवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का कहर (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कई वर्षों बाद दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर कड़ी शर्तों के साथ दो दिन के लिए सुबह-शाम दो-दो घंटे ग्रीन पटाखे चलाने की इजाजत मिली थी लेकिन ग्रीन पटाखों की आढ़ में प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे भी चले और दिल्ली की आबोहवा गंभीर स्तर पहुंच गई है।
करीब सात साल पहले सेहत और जीवन के अधिकार की दुहाई देकर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध मांगने वाले तीन शिशुओं के अभिवावक एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। उनका कहना है कि वे स्थिति पर निगाह बनाए हुए हैं और उनके सभी विकल्प खुले हैं।
एक सप्ताह से है खराब स्थिति
वायु प्रदूषण के आंकड़े आने के बाद वे तय करेंगे कि आगे क्या करना है। दिल्ली एनसीआर में पिछले करीब एक सप्ताह से वायु प्रदूषण की स्थिति खराब चल रही थी और इसे काबू करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप-2) लागू हो चुके थे लेकिन दिवाली के बाद से स्थिति और खराब हो गई है जो कि सेहत, विशेषकर अस्थमा और स्वशन रोग पीडि़त लोगों के लिए खतरे की स्थिति पर पहुंच गई है।
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के ग्रीन पटाखों की इजाजत की आढ़ में प्रदूषित पटाखे भी धड़ल्ले से चले जिसके कारण प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ा है। हालांकि वायु प्रदूषण में अचानक हुई बढ़ोत्तरी का वास्तविक कारण क्या है और प्रदूषण बढ़ाने में किस वजह का कितना योगदान है इसका सही पता बाद में चलेगा।
वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की इजाजत देते हुए गत 15 अक्टूबर के आदेश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को 14 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक वायु प्रदूषण की स्थिति के तिथिवार आंकड़े देने को कहा था। साथ ही दिवाली पर सशर्त ग्रीन पटाखों की बिक्री और चलाने की इजाजत देते हुए ही ये स्पष्ट कर दिया था कि उनका आदेश परीक्षण के तौर पर निर्धारित अवधि के लिए ही है। यानी स्थिति देखकर आगे फैसला लिया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं की भी है पैनी निगाह
लेकिन वहीं दूसरी ओर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता भी स्थिति पर पैनी निगाह बनाए हुए हैं। छह वर्ष पहले जिन तीन शिशुओं की ओर से उनके अभिवावकों ने सेहत और जीवन के अधिकार की दुहाई देकर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की थी उन्हीं में से एक आरव भंडारी के पिता, वकील अमित भंडारी कहते हैं कि वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश उनके मामले में नहीं आया है बल्कि वायु प्रदूषण से संबंधित पहले से लंबित एमसी मेहता मामले में दाखिल अर्जियों पर आया है लेकिन फिर भी वे स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और उनके सारे विकल्प खुले हैं।
भंडारी कहते हैं कि उन्हें शुरू से ही मालूम था कि जब आप सिर्फ ग्रीन पटाखे कहेंगे तो उसमें सभी तरह के पटाखे आ जाएंगे। क्योंकि जब पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं हुआ तो फिर तो ये संभावना बनी ही थी कि जब ग्रीन पटाखे चलेंगे तो दूसरे पटाखे नहीं चलेंगे ये कौन रोकेगा।
वैसे बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस को इसकी जांच और कोर्ट के आदेश का अमल सुनिश्चित करने के लिए पैट्रोलिंग टीमें बनाने और निरीक्षण करने का आदेश दिया था। भंडारी का कहना है कि साइंटिफिक अध्ययन और आंकड़ों के बगैर कोर्ट को पटाखों से प्रतिबंध नहीं हटाना चाहिए था और अब जो स्थिति बनी है इस पर कोर्ट को फिर सोचना होगा।
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