अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिये ISI ने कराया दिल्ली ब्लास्ट! जांच एसेंसियों का बड़ा दावा; ऑपरेशन सिंदूर 2.0 का दिखा खौफ
दिल्ली के लाल किला कार ब्लास्ट की जांच में खुफिया एजेंसियों को आईएसआई की भूमिका के सुराग मिले हैं। आईएसआई ने हमले में अपनी भूमिका छिपाने के लिए अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का सहारा लिया, जिसमें अफगानिस्तान और तुर्किये जैसे देशों का इस्तेमाल किया गया। भारत की चेतावनी और एफएटीएफ के डर के कारण आईएसआई ने मौलवी इरफ़ान अहमद को मॉड्यूल बनाने का काम सौंपा। जांच में तुर्किये से जुड़े कनेक्शन भी सामने आए हैं।
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अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिये ISI ने कराया दिल्ली ब्लास्ट (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला कार ब्लास्ट मामले की जांच में खुफिया एजेंसियों को नए सुराग हाथ लगे हैं। एजेंसियों का दावा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने इस हमले में अपनी सीधी भूमिका छिपाने के लिए अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की मदद से साजिश रची।
इसके लिए अफगानिस्तान और तुर्किये जैसे देशों का इस्तेमाल किया गया। घटना में 12 लोग मारे गए थे, जबकि दर्जनों घायल हो गए थे। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों के अनुसार, आइएसआइ नहीं चाहती थी कि हमला किसी भी तरह पाकिस्तान से जुड़कर सामने आए। पहलगाम हमले के बाद भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और 'ऑपरेशन सिंदूर' के चलते पाकिस्तान पहले ही दबाव में था। वह नहीं चाहता था कि किसी तरह का सुबूत सामने आए और ऑपरेशन सिंदूर 2.0 जैसा कुछ झेलना पड़े।
भारत ने दी थी चेतावनी
भारत ने चेतावनी दी थी कि आगे के सभी आतंकी हमलों को देश के साथ युद्ध की तरह देखा जाएगा। इसके अलावा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की कड़ी निगरानी को देखते हुए वह दोबारा ग्रे या ब्लैक लिस्ट में जाने का जोखिम नहीं ले सकता था। आइएसआइ ने सुनिश्चित किया कि जब इस घटना की जांच हो तो पाकिस्तान से किसी भी तरह का सीधा संचार न सामने आए।
इसी वजह से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले मौलवी इरफ़ान अहमद को चुना गया, जिसे भारत के भीतर माड्यूल बनाने और लोगों को भर्ती करने की जिम्मेदारी दी गई। इसी के तहत फरीदाबाद माड्यूल तैयार हुआ।अहमद और कई अन्य आरोपी लगातार अफगानिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर्स के संपर्क में थे।
यह सेल 2021 में सक्रिय किया गया था।तुर्किये का कनेक्शन भी आया सामनेजांच में तुर्किये से जुड़े संपर्क भी मिले हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डा. मुजफ्फर राथर के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस की मांग की है। माना जाता है कि वह इस समय अफगानिस्तान में है।
ISI ने की मदद?
राथर के साथ डा. मुजम्मिल अहमद गनई और डा. उमर नबी 2021 में 20 दिनों के लिए तुर्किये गए थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि वे वहां आईएसआई के नेटवर्क से जुड़े कुछ लोगों से मिले और माड्यूल सेट-अप में मदद मांगी। हालांकि तुर्किये की डायरेक्टरेट ऑफ कम्युनिकेशंस - सेंटर फार काउंटरिंग डिसइन्फार्मेशन ने बयान जारी कर कहा है कि उसका देश कट्टरपंथ या आतंक से जुड़े किसी भी गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।

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