'चारों तरफ खून और मांस के टुकड़े, मैंने मौत को करीब से देखा...', दिल्ली ब्लास्ट के घायलों ने सुनाया सारा मंजर
दिल्ली के लाल किले के पास एक व्यस्त इलाके में शाम करीब 7 बजे एक आई20 कार में धमाका हुआ, जिससे अफरा-तफरी मच गई। धमाका इतना जोरदार था कि कार आग के गोले में बदल गई और आसपास के लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों ने बताया कि उन्होंने चारों तरफ खून और मांस के टुकड़े देखे और मौत को करीब से महसूस किया।

सोमवार शाम हुए ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर दिया (फोटो: पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लालकिले के पास का यह इलाका दिल्ली के सबसे बिजी इलाकों में से एक है। लालकिले के ठीक सामने सड़क की दूसरी तरफ चांदनी चौक बाजार है। यहीं जैन मंदिर, गौरी शंकर मंदिर और शीशगंज साहिब गुरुद्वारा है, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा है।
दाहिनी तरफ भागीरथ मार्केट और लाजपत राय मार्केट हैं, जिसमें खरीदारी करने के हर दिन लाखों लोग पहुंचते हैं। दिल्ली का फेमस सदर बाजार भी यहां से थोड़ी दूर पर मौजूद है। यहां पहुंचने वाले लोग आम तौर पर लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 का इस्तेमाल करते हैं। हर रोज की तरह सोमवार को भी लोगों की भीड़ लालकिले के आसपास जुटी थी।
लाल बत्ती पर रुकते ही हुआ धमाका
लेकिन सोमवार शाम जो हुआ, उसने दिल्ली ही नहीं, पूरे देश को झकझोर दिया। शाम करीब 7 बजे एक आई20 कार लाल किले के सामने से गुजरी और लाल बत्ती के पास रुकते ही धमाका हो गया। कार आग का गोला बनकर कई मीटर ऊपर उछली। आस-पास खड़ी गाड़ियां एक झटके में खाक हो गईं। लोगों के चीथड़े उड़ गए और जो बचे, उन्होंने मौत को करीब से देखा।
लालकिले के पास ढाबा चलाने वाले राम प्रताप ने अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए कहा, 'लोग सड़क पर पड़े थे। कुछ खून से लथपथ थे, कुछ बिल्कुल भी हिल-डुल नहीं रहे थे। हर तरफ खून ही खून था।' उन्होंने कहा कि जब धमाका हुआ, वह दुकान बंद करने की तैयारी कर रहे थे। राम प्रताप ने कहा, 'शोर इतना तेज था कि कुछ सेकंड तक मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया। कांच के टुकड़े हम पर गिरे और चारों ओर घना धुआं फैल गया।'
'पता ही नहीं चला कि कौन जिंदा है'
उन्होंने कहा, 'लोग नाम पुकार रहे थे, रो रहे थे, अपने परिवारों को ढूँढ रहे थे। कुछ मिनटों तक, किसी को पता ही नहीं चला कि कौन जिंदा है। मेरे अपने हाथ से भी बुरी तरह खून बह रहा था, लेकिन मुझे तब इसका एहसास भी नहीं हुआ।' ढाबे से कुछ ही दूरी पर विजेंद्र यादव ने अपने पानी के टैंकर को खड़ा किया था।
विजेंद्र ने कहा, 'विस्फोट ने मुझे जमीन पर गिरा दिया। जब मैं उठा, तो मेरे कपड़े खून से लथपथ थे। मैंने सड़क पर लाशें, कांच के टुकड़े और मांस के टुकड़े बिखरे देखे। लोग चीख रहे थे, कुछ भाग रहे थे। वह आवाज आज भी मेरे कानों में गूंज रही है। मुझे लगा था कि मैं अपने पत्नी और बच्चों को फिर कभी नहीं देख पाऊंगा।'
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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