देहरादून में त्रिपुरा के छात्र की हत्या का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, नस्लीय हिंसा के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप की मांग
देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिका में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के खिलाफ नस्लीय हिंसा ...और पढ़ें

स्लीय हिंसा से निपटने में संवैधानिक विफलता के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड के देहरादून में इसी महीने त्रिपुरा के एक छात्र पर हमला हुआ था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी। हत्या यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई याचिका में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के खिलाफ नस्लीय हिंसा से निपटने में संवैधानिक विफलता के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है।
जनहित याचिका में 26 दिसंबर को एंजेल चकमा की हुई मौत का जिक्र किया गया है। वह उत्तराखंड के एक विश्वविद्यालय में एमबीए अंतिम वर्ष का छात्र था। उस पर नौ दिसंबर को कथित तौर पर नस्लीय हमला किया गया था। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था।
चकमा के भाई ने दर्ज कराई शिकायत
चकमा के भाई माइकल की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, दोनों भाइयों को युवकों के एक समूह ने रोका, जिसके चलते कहासुनी हुई, जो हिंसा में बदल गई। वे नशे में थे और धारदार हथियार से हमला किया।
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून अजय सिंह ने साफ किया है कि इसमें किसी तरह की नस्लीय हिंसा की बात सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि सेलाकुई क्षेत्र में दो पक्षों के युवकों के बीच हुई मारपीट की घटना में घायल त्रिपुरा निवासी एंजल चकमा की 26 दिसंबर को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
उन्होंने बताया कि इंटरनेट मीडिया में कुछ लोगों की ओर से इस प्रकरण को नस्लीय भेदभाव से जोड़कर प्रसारित किया जा रहा है। प्रकरण की अब तक की विवेचना के दौरान घटना में किसी भी प्रकार की नस्लीय भेदभाव व हिंसा किया जाना प्रकाश में नहीं आया है और ना ही पीड़ित पक्ष की ओर से दी गई तहरीर में इस प्रकार की किसी घटना का होने के संबंध अंकित कराया गया है।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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