'तीनों सेनाओं का तालमेल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी', राजनाथ सिंह ने बताया भारत का अगला कदम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेनाओं के बीच तालमेल को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार तीनों सेनाओं में एकता को बढ़ावा देना चाहती है जो आज के सुरक्षा माहौल में ज़रूरी है। ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं का तालमेल एक उदाहरण था। उन्होंने अखिल भारतीय त्रि-सेवा रसद एकीकरण पर काम करने की बात कही।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता एवं एकीकरण को और बढ़ावा देना है। यह केवल नीतिगत मामला नहीं है, बल्कि तेजी से बदलते सुरक्षा परिवेश में अस्तित्व का मामला है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं का तालमेल निर्णायक परिणाम देने का एक जीवंत उदाहरण था और इस सफलता को भविष्य की सभी सैन्य कार्रवाइयों के लिए एक मानक बनना चाहिए। मंगलवार को नई दिल्ली के सुब्रतो पार्क में भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित एक सेमिनार के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा, ''देवी दुर्गा इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हैं कि जब चुनौतियां बड़ी और असाधारण होती हैं तो एकीकृत शक्ति अजेय हो जाती है। हमारी सेना परिचालन तत्परता की दिशा में काम कर रही है, और वायु सेना तथा नौसेना भी इस दिशा में काम कर रही हैं।"
क्या है भारत का अगला कदम?
उन्होंने कहा, "हमारा अगला कदम अखिल भारतीय त्रि-सेवा रसद (लाजिस्टिक्स) एकीकरण पर काम करना होना चाहिए। जब हमारी सशस्त्र सेनाएं एकजुटता, सामंजस्य और पूर्ण समन्वय के साथ कार्य करेंगी, तभी हम सभी क्षेत्रों में विरोधियों का मुकाबला कर पाएंगे और भारत को गौरव की नई ऊंचाइयों पर ले जा पाएंगे। यह समय की मांग है।''
सेना की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए एक साझा डिजिटल ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, ''दशकों से प्रत्येक सेना ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अपने विशिष्ट अनुभवों के आधार पर संचालन प्रणालियां, निरीक्षण संरचना और लेखा परीक्षा प्रणालियां विकसित की हैं। अगर थलसेना ने कुछ विकसित किया, तो वह उसके पास ही रहा। अगर नौसेना या वायु सेना ने कुछ विकसित किया, तो वह उनकी अपनी सीमाओं के भीतर ही रहा।
इस विभाजन ने मूल्यवान सबक के पारस्परिक आदान-प्रदान को सीमित कर दिया है। आज के सुरक्षा परिवेश में इस विभाजन की जगह खुले आदान-प्रदान और सामूहिक शिक्षा को जगह मिलनी चाहिए। दुनिया तेजी से बदल रही है। खतरे कहीं ज्यादा जटिल हो गए हैं और हमें यह स्वीकार करना होगा कि कोई भी सेना अलग-थलग होकर काम नहीं कर सकती। किसी भी संघर्ष में सफलता के लिए अब अंतर-संचालन और एकजुटता जरूरी है।''
भारतीय सेना है सशक्त
रक्षा मंत्री ने कहा कि युद्ध का विकसित होता स्वरूप पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों के जटिल अंतर्संबंधों के साथ इस एकजुटता एवं एकीकरण को एक विकल्प के बजाय संचालन से जुड़ी एक प्रमुख आवश्यकता बनाता है। यह आज हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और संचालन की प्रभावशीलता के लिए एक मूलभूत आवश्यकता बन गई है। जहां हमारी प्रत्येक सेना स्वतंत्र रूप से जवाबी कार्रवाई की क्षमता रखती है, वहीं भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस की परस्पर संबद्ध प्रकृति सहयोगात्मक शक्ति को विजय की सच्ची गारंटी बनाती है।''
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