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    Pralay Missiles: चीन और पाकिस्तानी खेमे पर कहर बरपाएगी 'प्रलय', 500 किमी तक लक्ष्य को भेदने में कारगर

    By AgencyEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Mon, 18 Sep 2023 12:26 AM (IST)

    रक्षा मंत्रालय ने सेना की मारक क्षमता को और बढ़ाने के लिए प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजीमेंट की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसे चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर तैनात किया जाएगा। रक्षा अधिकारियों के अनुसार यह भारतीय सेना के लिए एक बड़ा निर्णय है। सेना इन मिसाइलों को पारंपरिक हथियारों के साथ तैनात करेगी।

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    चीन और पाकिस्तानी खेमे पर कहर बरपाएगी 'प्रलय' (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, एएनआइ। सरकार देश की सीमाओं को और सुरक्षित करने के लिए सभी जरूरी उपाय कर रही है। हमारे जांबाज सैनिक हर परिस्थितियों में चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते आए हैं। हमारे जवानों के बुलंद हौंसले के सामने सीमा पर लगातार गुस्ताखी करने वाले चीन की हैकड़ी भी कई बार दम तोड़ चुकी है, लेकिन बदलती वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत अब अपनी सैन्य क्षमता में लगातार वृद्धि कर रहा है।

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    इसी कड़ी में रक्षा मंत्रालय ने सेना की मारक क्षमता को और बढ़ाने के लिए 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजीमेंट की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसे चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा (LoC) पर तैनात किया जाएगा।

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    रक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह भारतीय सेना के लिए एक बड़ा निर्णय है। 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजीमेंट हासिल करने के प्रस्ताव को हाल ही में रक्षा खरीद परिषद की बैठक में मंजूरी दे दी गई थी। यह 150 से 500 किलोमीटर तक दुश्मन के खेमे को तबाह कर सकती है।

    सेना इन मिसाइलों को पारंपरिक हथियारों के साथ तैनात करेगी। वह इसका उपयोग सामरिक रूप से करेगी। चीन और पाकिस्तान दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो सामरिक भूमिकाओं के लिए हैं। इसे देखते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) लगातार मिसाइलों को और उन्नत करने के काम में लगा हुआ है।

    इस मिसाइल का पिछले साल 21 दिसंबर और 22 दिसंबर को लगातार दो बार परीक्षण किया गया था। 'प्रलय' सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि यह इंटरसेप्टर मिसाइल को भी चकमा देने में सक्षम है।

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    'प्रलय' हवा में कुछ दूरी तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने में भी सक्षम है। इसमें ठोस ईंधन राकेट मोटर के साथ ही अन्य अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है।