Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निर्णय लेने की शक्ति बदल सकती है आने वाले कल की तस्वीर, मुश्किलें हैं तो रास्ते भी मौजूद

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 15 Oct 2020 01:19 PM (IST)

    यदि आप लगातार मन को नकारात्मक संदेश देते रहेंगे तो वह उपाय नहीं बता पाएगा कि आपको करना क्या है? दिमाग को जो काम देंगे वह जरूर करके दिखाएगा। यही होती है फैसले की शक्ति जो आपके पास भरपूर है। बस उसे मुश्किल समय में आजमाना है।

    किसी भी स्थिति के सकारात्मक-नकारात्मक दोनों पहलुओं पर विचार करें

    नई दिल्ली, सीमा झा। यह सही है कि अभी वक्त हमारे अनुकूल नहीं। हर रोज वही पुरानी तस्वीर दिखाई देती है, जिसमें अश्चितता के रंग नजर आते हैं। थकान बढ़ रही है। कुछ लोगों के लिए यह हर वक्त बना रहने वाला एंग्जाइटी भरा दौर है। यह भी सच है कि आप जो सोच रहे थे, उससे बिलकुल अलग हों स्थितियां यानी इस समय कुछ नया सीखने, जानने को लेकर उत्साहित हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आप यह बखूबी समझ रहे हैं कि जिंदगी हमेशा बुरे परिणामों को लेकर नहीं आती, कुछ अच्छे सबक भी देती है यानी दोनों तरह की स्थितियां हो सकती हैं, अच्छी भी और बुरी भी। पर सबसे रोचक है यह जानना कि यह सब अपने आप नहीं होता। आप हमेशा जीवन रूपी अपनी गाड़ी के खुद ड्राइवर होते हैं। ऐसे में समय के मुताबिक अपनी दिशा बदल सकते हैं। दूसरे विकल्प पर विचार कर सकते हैं और एक उचित फैसला लेकर सही राह चुन सकते हैं। अमूमन इस तरह का फैसला हम हर पल लेते हैं, जो हमारे आत्म-विकास का हिस्सा होते हैं।

    आपने कैसे फैसले लिए हैं, उससे तय हो रहा है आने वाला कल। पर इन बातों पर हमारा ध्यान अक्सर नहीं जाता या इसे छोटी बात समझकर अनदेखा कर देते हैं। चाहे वह सुबह जल्दी जागने का फैसला हो, योग करने या खानपान को लेकर हो, पहनने को लेकर हो या ऐसे सभी फैसले, जीवन को गढ़ने में जिनकी सबसे बड़ी भूमिका होती है। अब क्या आप अपने फैसले को लेकर सजग हो सकेंगे? यह फैसला भी आप पर है।

    समङों मन और शरीर की भाषा : आप जानते हैं हमारा शरीर और मन दोनों एक-दूसरे पर असर डालते हैं। मन लगातार विचारों का निर्माण करता रहता है। सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के विचार आते हैं। इन विचारों के ठहरने तक शरीर में उसका प्रभाव देखा जा सकता है। परेशान हैं, डरे हुए हैं, आशंकित हैं तो आपको पसीना आ सकता है, धड़कन बढ़ जाती है। खुश हैं, तब भी आप देखेंगे कि आपके शरीर में प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। यदि आप कहते हैं कि आपके पास कोई च्वॉइस नहीं है, जिंदगी की समस्याओं को लेकर आप मजबूर हैं तो शायद आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण-संतुलन नहीं रख पा रहे।

    आपका निर्णय भावुकता के कारण वहीं ठहर जाता है। लेकिन जो लोग मुश्किल समय में भी आगे बढ़ने का हौसला रखते हैं, अपने मन और शरीर के बीच संतुलन साधकर आगे बढ़ना जानते हैं, उन लोगों के मन और शरीर पर आमतौर पर मुश्किलें हावी नहीं हो पातीं। जब आपसे कहा जाता है कि सकारात्मक सोचें तो आपने ध्यान नहीं दिया कि आपका शरीर भी उस पर प्रतिक्रिया कर रहा है। यह एक सुंदर प्रतिक्रिया है, जो आपसे कहती है मुश्किल समय में कुछ चुनाव करते समय, फैसला करने में इस ऊर्जा का सदुपयोग करें। जब आप अपने विचारों और भावनाओं के बीच संतुलन साधना सीख जाएंगे तो आपके फैसले का परिणाम बेहतर होता दिखाई देगा।

    तय करें फैसले का स्तर : हम चाहते तो बहुत कुछ हैं, पर उस स्तर पर पहुंचने के लिए जो प्रतिबद्धता चाहिए, उसका अभाव होता है। आगे बढ़ने के लिए फैसला तो आपको ही करना है। यह फैसला सुंदर और फलीभूत होगा, यदि आप उसका एक स्तर तय करें। एक ओलंपियन हमेशा एक गोल्ड मेडल के लिए जाता है। वह इसे ही अपना मानक बनाता है। तभी उसकी तैयारी कमाल की होती है। वह अपनी नियमित दिनचर्या में इसका खास ध्यान रखता है। वह हर दिन का हिसाब रखना चाहता है और गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहता। क्या आप भी इस तरह का कोई मानक तय करते हैं? कोई बिस्तर पर बैठे-बैठे यह सोच ले कि मैं एक दिन मैं पूरी तरह से फिटनेस का लक्ष्य पा लूंगा तो यह संभव नहीं। इसकी तैयारी आपको रोजाना करनी होगी और अपनी भावनाओं को लेकर सतर्क रहना होगा।

    कैसे लें बेहतर निर्णय

    • किसी भी स्थिति के सकारात्मक-नकारात्मक दोनों पहलुओं पर विचार करें
    • जोखिम की पहचान करें
    • संबंधित सूचनाओं को एकत्रित करें
    • आने वाले कल को विजुलाइज करें यानी दृश्य रूप में कल्पना करें। ऐसा जैसे कि आप फैसले के परिणाम को देख पा रहे हैं
    • अपने दिल की आवाज को हमेशा सुनें। अक्सर वह आपको सही सुझाव देता है
    • अतिआत्मविश्वास से काम बिगड़ सकता है, यह भी नहीं भूलना चाहिए

    हमें याद रखना चाहिए

    • आप हर पल फैसला लेते हैं और यदि नहीं भी लेते हैं और कुछ नहीं करने का भी मन है तो यह भी एक फैसला ही है
    • यदि आपका कोई फैसला सफल नहीं होता तो इसका मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं
    • फैसला सही साबित नहीं होता, तो परेशान न हों। इसका सबसे बड़ा लाभ यही है कि आपने पहचान ली अपनी शक्ति। एक अन्य फैसले से उसे नया रूप दें और आगे बढ़ें एक नए फैसले के लिए
    • यदि बदलाव याहते हैं तो आप मन को बहाने बनाने से तुरंत रोक देंगे। उस बदलाव के लिए ऊर्जा भी आपके पास है। बस खुद पर पूरा यकीन होना चाहिए
    • यह बहुत आसान है किसी परेशान करने वाली परिस्थिति में हताश होकर रो देना। इसके बावजूद कठिन स्थिति से खुद को बाहर निकालना, नकारात्मकता में भी खुद को सकारात्मक बनाए रखना हमारा ही चुनाव है

    जब विकल्प न सूझे तो खुद से पूछें-मैं क्या कर सकता हूं? : आजकल मैं देख रही हूं कि कोई इंसान कितना भी अच्छा नजर आता हो, वह छोटी-छोटी बातों पर निराश हो जाता है। वह अपनी भावनाओं के आगे नतमस्तक हो जाता है। नहीं होगा फायदा, अब कुछ नहीं हो सकता, सब बेकार है, यह समय बहुत बुरा है आदि कहकर खुद को परेशान रखता है। जब ऐसा हो तो बस एक काम सबसे पहले करें। नौकरी हाथ से निकल जाना समस्या है, पर यदि आप उस पल में खुद से सवाल करें कि और क्या है, जिसमें एक नए की उम्मीद देख सकते हैं, तो वह जरूर सामने होगा।

    यदि पैसा नहीं है की शिकायत है तो याद रखें, यह भी सच नहीं। आपात स्थिति में जैसे पैसे आपके पास होते हैं, तो जब इसकी जरूरत बहुत ज्यादा होगी, आप उसे जुटा सकते हैं। इसलिए केवल सकारात्मक होना ही नहीं, बल्कि खराब स्थिति होने पर मैं आगे क्या कर सकता हूं, खुद से यह सवाल आपको जरूर एक दिशा दे सकता है। याद रहे, यदि आप लगातार मन को नकारात्मक संदेश देते रहेंगे तो वह उपाय नहीं बता पाएगा कि आपको करना क्या है? दिमाग को जो काम देंगे, वह जरूर करके दिखाएगा। यही होती है फैसले की शक्ति, जो आपके पास भरपूर है। बस उसे मुश्किल समय में आजमाना है।

    [चांदनी टग्नैत, वरिष्ठ मनोचिकित्सक एवं लाइफ कोच]