BRO के कैजुअल श्रमिकों की मृत्यु पर पार्थिव शरीर घर तक पहुंचाएगी सरकार, राजनाथ सिंह ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
केंद्र सरकार ने सीमा सड़क संगठन की परियोजनाओं में कार्यरत अस्थाई कर्मियों और श्रमिकों की निर्माण कार्य के दौरान किसी कारण से मृत्यु होने पर उनके पार्थिव शरीर को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने का फैसला किया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा यह मानना है कि देश की सीमाओं पर और उनसे सटे दुर्गम इलाकों में जो सड़क निर्माण कार्य में अपना पसीना बहाते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सीमा सड़क संगठन की परियोजनाओं में कार्यरत अस्थाई कर्मियों और श्रमिकों की निर्माण कार्य के दौरान किसी कारण से मृत्यु होने पर उनके पार्थिव शरीर को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने का फैसला किया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस फैसले की जानकारी एक्स पोस्ट पर साझा करते हुए कहा कि पार्थिव शरीर उनके घर तक पहुंचाने में जो भी खर्च होगा वह सरकार वहन करेगी। रक्षामंत्री की मंजूरी के साथ ही अंतिम संस्कार में होने वाले व्यय की राशि भी बढ़ा दी गई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा यह मानना है कि देश की सीमाओं पर और उनसे सटे दुर्गम इलाकों में जो सड़क निर्माण कार्य में अपना पसीना बहाते हैं, उनका महत्व एक सैनिक से कम नहीं है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है।
अंतिम संस्कार का बढ़ा खर्च
उन्होंने कहा कि बीआरओ परियोजनाओं में सेवा के दौरान दिवंगत कैजुअल वेतनभोगी श्रमिकों के अंतिम संस्कार का खर्च 1,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है। बीआरओ परियोजनाओं में सरकारी प्रामाणिक ड्यूटी के दौरान किसी श्रमिक की मृत्यु होने की स्थिति में जिसका अंतिम संस्कार कार्यस्थल पर ही किया जा रहा है, उसके अंतिम संस्कार का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
कैजुअल वेतनभोगी श्रमिकों को बीआरओ द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए रखा जाता है और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में वे बीआरओ कर्मियों के साथ मिलकर काम करते हैं। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण वे कभी-कभी दुर्घटना के शिकार भी होते हैं।
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इस सुविधा से वंचित थे सीपीएल
अभी तक सरकारी खर्च पर पार्थिव शव के संरक्षण और इसे मूल स्थान तक पहुंचाने के लिए परिवहन की सुविधा केवल जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स (GREF) के कर्मियों के लिए उपलब्ध थी। समान परिस्थितियों में काम करने वाले सीपीएल इस सुविधा से वंचित थे। उनकी मृत्यु हो जाने की स्थिति में, परिवहन का व्यय शोक संतप्त परिवारों पर पड़ता है।
आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण मृतक का परिवार ज्यादातर स्थितियों में हवाई किराया या यहां तक कि सड़क मार्ग से परिवहन का खर्च भी वहन नहीं कर पाता है। रक्षा मंत्रालय का यह कदम पीड़ित परिवारों के परिजनों को दुख की घड़ी में राहत प्रदान करेंगे।
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