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    मृतक आश्रित को नौकरी मांगने का अधिकार नहीं

    By Edited By:
    Updated: Tue, 20 Aug 2013 08:10 PM (IST)

    सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से पहले मृत्यु पर आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौकरी के लिए आवेदन करने वाला मृतक आश्रित पद के मुताबिक योग्य भी होना चाहिए। न्यायमूर्ति बीएस चौहान और एसए बोबदे की पीठ ने कहा कि संबंधित विभाग को मृतक के

    नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से पहले मृत्यु पर आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौकरी के लिए आवेदन करने वाला मृतक आश्रित पद के मुताबिक योग्य भी होना चाहिए। न्यायमूर्ति बीएस चौहान और एसए बोबदे की पीठ ने कहा कि संबंधित विभाग को मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के बाद उस सदस्य को नौकरी देनी चाहिए, जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो।

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    पीठ ने कहा कि महज सरकारी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मृत्यु होने के आधार पर उसके परिजन नौकरी के लिए दावा करने के अधिकारी नहीं बन जाते। पीठ ने यह व्यवस्था एमजीबी ग्रामीण बैंक द्वारा दायर राजस्थान हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान दी। राजस्थान हाई कोर्ट ने 2010 में एक बैंक कर्मचारी के बेटे चक्रवर्ती सिंह को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का आदेश दिया था। चक्रवर्ती के पिता बैंक में तीसरे दर्जे के कर्मचारी थे। उनकी मृत्यु 19 अप्रैल, 2006 को हुई। इसके बाद चक्रवर्ती ने 12 मई, 2006 को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि एक जज और खंडपीठ के तर्क कानून की नजर में मजबूत नहीं हैं। मृतक आश्रित अनुकंपा के आधार पर नौकरी अधिकार के तौर पर नहीं मांग सकता।

    बैंक ने बताया कि सिंह का आवेदन लंबित होने के दौरान 12 जून, 2006 को एक नई योजना आई, जिसे 6 अक्टूबर, 2006 से लागू किया जाना था। इसके तहत योजना लागू होने तक लंबित आवेदन में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के बजाय मुआवजे का प्रावधान किया गया था। हाई कोर्ट ने बैंक की दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बैंक कर्मचारी की मृत्यु नई योजना लागू होने से पहले हुई थी। लिहाजा, मामले में उस समय लागू योजना के मुताबिक विचार किया जाएगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चक्रवर्ती नई योजना के तहत मामले पर विचार के लिए अर्जी दे सकते हैं। साथ ही बैंक को योजना के मुताबिक आवेदन मिलने के तीन माह में जवाब देना चाहिए।

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