Cyrus Mistry vs Tata Sons: क्या था टाटा के साथ साइरस मिस्त्री का विवाद
उद्याेगपति साइरस मिस्त्री (Cyurus Mistry) की मौत रविवार शाम एक सड़क हादसे में हो गई। मिस्त्री देश के सबसे बड़े उद्योग समूह टाटा के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनका यह पद ही टाटा समूह के साथ लड़ाई का कारण बना। पढ़ें विस्तार-

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। देश के बड़े उद्योगपति और टाटा समूह (Tata Group) के अध्यक्ष रह चुके साइरस मिस्त्री ने रविवार को हुए एक सड़क हादसे में दुनिया को अलविदा कह दिया। केवल भारत ही नहीं ब्रिटेन में भी महान उद्योगपति कहे जाने वाले साइरस मिस्त्री (Great Industrialist Cyrus Mistry) का विवाद से भी गहरा नाता रहा है। टाटा समूह के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने अपने सम्मान की लड़ाई के लिए मोर्चा खोल दिया था। साइरस टाटा समूह के दूसरे ऐसे अध्यक्ष थे जिनका सरनेम टाटा नहीं था। इनसे पहले नौरोजी सकलतवाला (Nowroji Saklatwala) 1904-1932 तक टाटा समूह के अध्यक्ष बने थे।
आइए जानते हैं टाटा समूह से साइरस मिस्त्री का विवाद आखिर क्या था?
साइरस मिस्त्री 2012 में बने थे टाटा समूह के अध्यक्ष
कंपनी के एक चयन पैनल ने 2012 में टाटा समूह के छठे अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को चुना था। इसी साल दिसंबर महीने में उन्होंने कार्यभार संभाला और 2016 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद, टाटा समूह के अधिकार क्षेत्र वाली कंपनी टाटा संस के बोर्ड ने मिस्त्री को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए मतदान करवाया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि वे टाटा परिवार का हिस्सा नहीं हैं।
वीडियो में देखिए टाटा के पूर्व अध्यक्ष की कहानी-
पद से हटाए जाने के बाद NCLAT पहुंचे थे मिस्त्री
साइरस को 2016 में टाटा के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद रतन टाटा को दोबारा से कंपनी का अध्यक्ष बनाया गया और इसके कुछ महीने बाद ही 2017 नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा समूह का अध्यक्ष बना दिया गया। टाटा समूह का सर्वोच्च पद छिनने पर साइरस कंपनी की कार्रवाई से खासा नाराज हो गए और उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal, NCLAT) का दरवाजा खटखटाया। NCLAT ने अपनी जांच में यह साबित कर दिया कि साइरस का अध्यक्ष पद से हटाया जाना गैरकानूनी था।
सुप्रीम कोर्ट में चली टाटा-मिस्त्री की लड़ाई
साल, 2020 में टाटा समूह ने NCLAT के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने टाटा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा था कि NCLAT के निर्णय ने उद्याेगपति की छवि को धूमिल किया है।
किसी भी हाल में चाहते थे अध्यक्ष पद
टाटा परिवार और साइरस के बीच की लड़ाई यह थी कि साइरस कंपनी टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी चाहते थे, जबकि टाटा संस उन्हें कंपनी में किसी भी भूमिका में दोबारा दाखिल नहीं होना देना चाहती थी। इसके अलावा, साइरस टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड से पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बदलना चाहते थे, यह तभी संभव था अगर साइरस कंपनी में अध्यक्ष पद पर बने रहते। हालांकि साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने साइरस को कंपनी के पद से हटाए जाने की कार्रवाई को सही ठहरा दिया और मामला यहां खत्म हो गया था।
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