IIT गुवाहाटी की बड़ी उपलब्धि, मानव कोशिकाओं में आसानी से चलेगा साइनाइड का पता; विकसित की खास तकनीक
आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक फ्लोरोसेंट सेंसर विकसित किया है जो पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग करके पानी और मानव कोशिकाओं में साइनाइड का पता लगा सकता है। यह सेंसर नदी के पानी और स्तन कैंसर कोशिकाओं में भी प्रभावी है। साइनाइड की उपस्थिति में यह रंग बदलता है और तेज रोशनी उत्सर्जित करता है।

पीटीआई, नई दिल्ली। आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने फ्लोरोसेंट सेंसर विकसित किया है, जो पराबैंगनी प्रकाश स्त्रोत का उपयोग कर पानी और मानव कोशिकाओं में साइनाइड का पता लगा सकता है। यह सेंसर नदी के पानी और स्तन कैंसर कोशिकाओं में भी प्रभावी रूप से काम करता है।
यह शोध स्पेक्ट्रोकैमिका एक्टा पार्ट ए: मालिक्यूलर एंड बायोमालिक्यूलर स्पेक्ट्रोस्कोपी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह सेंसर साइनाइड की उपस्थिति में रंग बदलता है और तेज रोशनी उत्सर्जित करता है। यह न केवल साइनाइड के जल्द पता लगाने में सहायक है, बल्कि सेंसर-आधारित स्मार्ट उपकरणों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
कैसे करेगा काम?
आईआईटी गुवाहाटी के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जी कृष्णमूर्ति ने बताया, साइनाइड अत्यधिक विषैला यौगिक है, जिसका उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं में जैसे कि सिंथेटिक फाइबर के निर्माण, प्लास्टिक, इलेक्ट्रोप्लेटिंग और सोने की खनन में किया जाता है।
साइनाइड के कम मात्रा से भी हो सकती है मौत
उचित तरीके से इसका निस्तारण न होने पर साइनाइड पर्यावरण में फैल जाता है, जिससे मिट्टी और जल प्रदूषित हो जाता है। इस प्रदूषित पानी का सेवन मानव शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो सकता है। साइनाइड की बेहद कम मात्रा से भी मृत्यु हो सकती है।
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