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    CRPF में शामिल होंगे 20 हजार अधिक जवान, ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार का बड़ा फैसला

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 08:36 PM (IST)

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए सीआरपीएफ नई बटालियनों की तैनाती कर सकता है। लगभग 20 नई बटालियनें गठित की जाएंगी जिनमें 20000 सैनिक होंगे। हालांकि इनकी तैनाती केवल जम्मू-कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहेगी। पहलगाम हमले के बाद 20000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती महत्वपूर्ण हो जाती है।

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    पहलगाम हमले के बाद 20,000 अतिरिक्त जवानों को शामिल किया जाना महत्वपूर्ण (फाइल फोटो)

    आईएएनएस, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चुनौतियां बढ़ने के साथ ही ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) नई बटालियनों की तैनाती के साथ बड़ी भूमिका निभा सकता है।

    शीर्ष सूत्रों ने बताया, 'चरणबद्ध तरीके से लगभग 20 नई बटालियनें (20,000 सैनिक) गठित की जाएंगी। हालांकि, उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं होगी।' नई बटालियनों के गठन का प्रस्ताव पिछले अक्टूबर में उठाया गया था, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।

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    20,000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती महत्वपूर्ण

    हालांकि, 20 नई बटालियनों का गठन सीआरपीएफ द्वारा की गई मूल मांग से कम है। जम्मू और कश्मीर की बदलती स्थिति, विशेष रूप से पहलगाम हमले के बाद 20,000 अतिरिक्त जवानों को शामिल किया जाना महत्वपूर्ण हो जाता है।

    सीआरपीएफ में एक निदेशालय, चार क्षेत्रीय मुख्यालय, 21 प्रशासनिक क्षेत्र, दो परिचालन क्षेत्र, 39 प्रशासनिक रेंज, 17 परिचालन रेंज, 43 समूह केंद्र, 22 प्रशिक्षण संस्थान, चार समग्र अस्पताल (100 बिस्तरों की सुविधा के साथ), 18 समग्र अस्पताल (50 बिस्तरों की क्षमता के साथ), छह फील्ड अस्पताल, तीन केंद्रीय हथियार भंडार (सीडब्ल्यूएस), सात गोला-बारूद कार्यशालाएं (एडब्ल्यूएस) और 201 जनरल ड्यूटी बटालियन (जीडी बटालियन) शामिल हैं।

    बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्थाओं का समन्वय

    इनमें छह वीआईपी सुरक्षा बटालियन, छह महिला बटालियन, 16 त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) बटालियन, 10 कोबरा बटालियन, सात सिग्नल बटालियन, एक संसद ड्यूटी समूह (पीडीजी) और एक विशेष ड्यूटी समूह (एसडीजी) शामिल हैं।

    सीआरपीएफ की मुख्य जिम्मेदारियों में आतंकवाद और विद्रोह विरोधी अभियान, वामपंथी उग्रवाद से निपटना, युद्ध के समय आक्रामकता का मुकाबला करना, संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशनों में भाग लेना, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्य, दंगा नियंत्रण, और विशेष रूप से चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्थाओं का समन्वय करना शामिल है।

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