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    Vice President: विपक्षी खेमे में सेंध लगाने की तैयारी में BJP? CP राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाने के पीछे ये है कारण

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 11:28 AM (IST)

    CP Radhakrishnan Vice Presidential Candidate उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से हैं। डीएमके प्रवक्ता ने इस फैसले का स्वागत किया है। ऐसे में बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। इस फैसले को बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है।

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    सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के मायने। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद पर चुनाव के एलान के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA गठबंधन शायद बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपना उम्मीदवार चुने। मगर, वास्तव में ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी ने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए महाराष्ट्र के उपराज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद (CP Radhakrishnan) का उम्मीदवार बना दिया।

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    सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में कई राजनीतिक विशेषज्ञ बीजेपी के इस फैसले को मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। आइए जानते हैं सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार (Vice President Candidate) बनाने के क्या मायने हैं?

    सीपी राधाकृष्णन ही क्यों?

    सीपी राधाकृष्णन का नाम सुनने के बाद ज्यादातर लोगों के मन में सवाल आया कि बीजेपी में कई बड़े चेहरे होने के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व ने सीपी राधाकृष्णन को ही उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार क्यों चुना? दरअसल इसके पीछे कई बड़ी वजहें हैं।

    1. सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और राज्य की राजनीति में उनकी तगड़ी पकड़ है।
    2. तमिलनाडु में अगले साल यानी 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में बीजेपी के इस फैसले से राज्य का सियासी समीकरण बदल सकता है।
    3. सीपी राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिससे बीजेपी पिछड़े वर्ग में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो सकती है।
    4. उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में बीजेपी की पकड़ कमजोर है। इससे बीजेपी को दक्षिण में कदम जमाने में मदद मिलेगी।
    5. सियासी गलियारों में सीपी राधाकृष्णन एक पंसदीदा चेहरा हैं। तमिलनाडु में लगातार 2 बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वो झारखंड, तेलंगाना, पुदुचेरी समेत महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके हैं।
    6. अगर सीपी राधाकृष्णन देश के अगले उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो डॉ. राधाकृष्णन और आर. वेंकेटरमन के बाद इस पद पर बैठने वाली वो तमिलनाडु की तीसरी शख्सियत होंगे। इससे संसद में दक्षिण भारत की भी भागीदारी बढ़ेगी।

    क्या 'इंडी' गठबंधन में पड़ेगी दरार?

    तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके समेत पिछड़ा वर्ग को समर्थन देने वाली कई पार्टियां कांग्रेस के नेतृत्व वाले 'इंडी' गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी के इस फैसले से विपक्ष में भी दरार पड़ सकती है?

    डीएमके के प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने बीजेपी के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह स्वागत योग्य कदम है। सीपी राधाकृष्णन एक तमिल हैं। लंबे समय के बाद कोई तमिल भारत का उपराष्ट्रपति बन सकता है। हालांकि, जब एलंगोवन से पूछा गया कि क्या डीएमके इस फैसले में सरकार का समर्थन करेगी? तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया।

    डीएमके प्रवक्ता के अनुसार,

    सीपी राधाकृष्णन बीजेपी की अपनी पसंद हैं, लेकिन हमारी पार्टी गठबंधन (इंडी) के फैसले के अनुसार काम करेंगे।

    पहले कब-कब सरकार को मिला विपक्ष का समर्थन?

    आपको जानकर हैरानी होगी कि उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में पहले भी विपक्षी खेमे की कई पार्टियां सत्ताधारी दल का समर्थन कर चुकी हैं।

    2007 - कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन UPA सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को अपना उम्मीदवार बनाया, तो NDA का हिस्सा रही शिवसेना ने सरकार के पक्ष में वोट दिया था।

    2012 - UPA सरकार ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया, तो NDA में शामिल शिवसेना और जेडीयू ने सरकार का समर्थन किया था।

    2017 - बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया, तो विपक्ष में रहने के बावजूद जेडीयू ने सरकार का साथ दिया था।

    इस बार क्या हैं समीकरण?

    चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान करवाने की घोषणा की है। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद वोट डालेंगे। वर्तमान में NDA के पास 422 सांसद हैं।

    वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेडी, वाईएसआरसीपी और बीआरएस समेत कुछ पार्टियां NDA के पक्ष में वोट डाल सकती हैं। इन पार्टियों के पास लगभग 22 सांसद हैं, जिससे NDA का खेमा मजबूत हो सकता है।

    DMK पर बना सस्पेंस

    बेशक डीएमके ने इंडी गठबंधन का साथ देने की बात कही है। मगर, सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारकर बीजेपी ने डीएमके को कशमकश में डाल दिया है। तमिल सियासत को एजेंडा बनाकर हमेशा फ्रंटफुट पर खेलने वाली डीएमके के लिए यह फैसला लेना काफी मुश्किल होगा।

    बता दें कि संसद में डीएमके के कुल 32 सांसद हैं। ऐसे में डीएमके का रुख न सिर्फ उपराष्ट्रपति चुनाव पर बड़ा असर डालेगा बल्कि तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव में भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।

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