16 की उम्र में RSS से जुड़े थे CP Radhakrishnan, समर्थक कहते हैं 'तमिलनाडु का मोदी'; VP कैंडिडेट के दिलचस्प किस्से
भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को चुना है जो आरएसएस और जनसंघ से जुड़े रहे हैं। उन्हें तमिलनाडु का मोदी कहा जाता है। राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष भी रहे और उन्होंने 19 हजार किलोमीटर की रथयात्रा की थी। वे कोच्चि स्थित क्वायर बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे और टीबी उन्मूलन में उनका योगदान रहा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। माना जा रहा था कि इस बार भाजपा उपराष्ट्रपति प्रत्याशी के रूप में ऐसे व्यक्ति का चयन करेगी, जो भाजपा की पृष्ठभूमि से हो। भाजपा संसदीय बोर्ड का निर्णय भी वही रहा। दरअसल, सीपी राधाकृष्णन किशोरावस्था से ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़े रहे हैं।
16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करते हुए वह 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने। 1996 में उनको तमिलनाडु भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।
19 हजार किलोमीटर की रथयात्रा की
1999 में वह फिर से लोकसभा के लिए चुने गए। उनके समर्थक उन्हें 'तमिलनाडु का मोदी' कहते हैं। वर्ष 2004 से 2007 तक वह तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने 19 हजार किलोमीटर की रथयात्रा की, जो 93 दिनों तक चली। इसका उद्देश्य भारतीय नदियों को जोड़ना, आतंकवाद का उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करना, अस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों के खतरों से निपटना था।
इसके अलावा भी अन्य दो पदयात्राएं उन्होंने कीं। बीबीए की पढ़ाई करने वाले सीपी राधाकृष्णन कोच्चि स्थित क्वायर बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे हैं। वह चार वर्ष तक इस पद पर रहे और उनके नेतृत्व में भारत से क्वायर (नारियल की जूट) का निर्यात 2,532 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर तक पहुंच गया था। 2020 से 2022 तक वह केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया कि विभिन्न राज्यों में टीबी उन्मूलन में भी सीपी राधाकृष्णन का विशेष योगदान रहा। राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक थे। उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल का भी शौक है। कहा जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा राजग से नाता तोड़ने के बाद तमिलनाडु में भाजपा के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
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