महाराष्ट्र : 25 हजार करोड़ के कोऑपरेटिव चीनी मिल घोटाले का आरोप
जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हजारे ने दो सिविल जनहित याचिकाएं और एक आपराधिक जनहित याचिका दायर की है।
मुंबई, प्रेट्र। महाराष्ट्र में 25 हजार करोड़ रुपये के कोऑपरेटिव चीनी मिल घोटाले का आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बांबे हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। इनमें उन्होंने इस घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। याचिकाओं में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और उनके भतीजे व राज्य के पूर्व सिंचाई मंत्री अजित पवार के नाम प्रतिवादी के तौर पर शामिल किए गए हैं।
जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हजारे ने दो सिविल जनहित याचिकाएं और एक आपराधिक जनहित याचिका दायर की है। इन पर छह जनवरी को सुनवाई होनी है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि कोऑपरेटिव चीनी मिलों को पहले कर्ज के बोझ तले दबाया गया और फिर उन्हें बीमारू बताकर बेहद कम कीमत पर बेच दिया गया। इससे सरकार, कोऑपरेटिव क्षेत्र और लोगों को 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस कथित घोटाले में जिन लोगों के खिलाफ भी प्रथमदृष्टया मामला बनता है याचिकाओं में ऐसे सभी लोगों की संपत्तियों को कब्जे में लेकर कोर्ट रिसीवर नियुक्त करने और घोटाले में राजनेताओं की भूमिका की जांच विशेष जांच दल (एसआइटी) से कराने की मांग की गई है।
याचिकाओं में सरकार या कोऑपरेटिव बैंकों द्वारा महाराष्ट्र में सभी कोऑपरेटिव चीनी मिलों की कथित रूप से गैरकानूनी बिक्री की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग भी की गई है।
याचिकाकर्ता अन्ना हजारे का कहना है कि याचिका में बयान किए गए आंकड़े और तथ्य सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सरकारी अधिकारियों से ही जुटाए गए हैं। उनका कहना है कि इस घोटाले ने पूरे राज्य को निगल लिया है और उसे 50 साल पीछे धकेल दिया है।
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