हथियारों की आपात खरीद संबंधी अनुबंधों पर 15 जनवरी तक हो सकेंगे अनुबंध, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने रक्षा बलों को आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत अगले वर्ष 15 जनवरी तक अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने की अनु ...और पढ़ें

हथियारों की आपात खरीद संबंधी अनुबंधों पर 15 जनवरी तक हो सकेंगे अनुबंध (फोटो- एक्स)
एएनआई, नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने रक्षा बलों को आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत अगले वर्ष 15 जनवरी तक अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति देने के लिए प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने की समय सीमा 19 नवंबर थी। ये शक्तियां रक्षा बलों को ऑपरेशन सिंदूर के बाद दी गई थीं ताकि वे भविष्य के संघर्षों के लिए तैयार हो सकें।
रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय में शुक्रवार को डीएसी की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह भी बताया गया कि सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कई प्रमुख प्रस्तावों पर चर्चा के लिए डीएसी की सोमवार को फिर बैठक होगी।
सेना द्वारा आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत अमेरिका से जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और एक्सकैलिबर प्रेसिजन-गाइडेड आर्टिलरी गोला-बारूद की खरीद जैसी प्रमुख रक्षा परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
बजट में रक्षा बलों के लिए आवंटित पूंजीगत खर्च का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार द्वारा आपातकालीन खरीद के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
मंत्रालय ने कठोर रुख अपनाया है कि आपातकालीन खरीद मामलों में देरी की अनुमति नहीं दी जाएगी और यदि अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के एक वर्ष के भीतर डिलीवरी नहीं की गई तो डिफाल्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रूस ने चार वर्षों में 22 गुना बढ़ाया हथियारों का उत्पादन
रूस ने बीते चार वर्षों में यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने हथियारों और गोला-बारूद का उत्पादन 22 गुना बढ़ाया है। यह जानकारी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सरकारी टेलीविजन पर देश को संबोधित करते हुए दी है।
पुतिन ने बताया कि इस दौरान टैंकों का उत्पादन दो गुना से ज्यादा हुआ जबकि सैन्य विमानों का उत्पादन 4.6 गुना बढ़ा है। बाकी के हथियारों और उपकरणों का उत्पादन भी कई गुना बढ़ा है। रूसी सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर पुतिन ने कहा, यूक्रेन में चल रही लड़ाई का स्वरूप बदलता जा रहा है। इसलिए हथियारों और गोला-बारूद का उत्पादन बढ़ाया गया है।

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