सस्टेनेबल प्रोडक्ट खरीदकर जलवायु परिवर्तन रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं उपभोक्ता

सतत विकास लक्ष्यों में 12वां लक्ष्य है खपत और उत्पादन का सस्टेनेबल तरीका सुनिश्चित करना। यह आजीविका सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है। उपभोक्ता जलवायु परि...और पढ़ें
एस.के. सिंह जागरण न्यू मीडिया में सीनियर एडिटर हैं। तीन दशक से ज्यादा के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में ...और जानिए
धरती पर आबादी बढ़ रही है लेकिन प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया की आबादी 2050 तक 980 करोड़ हो जाने का अनुमान है। एक आकलन के मुताबिक यदि दुनिया का हर व्यक्ति पश्चिमी यूरोप के औसत व्यक्ति की जीवनशैली अपनाए, तो सबकी जरूरतें पूरी करने के लिए तीन धरती के संसाधनों की आवश्यकता होगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (15 मार्च) की थीम ‘सस्टेनेबल लाइफस्टाइल के लिए परिवर्तन’ (A Just Transition to Sustainable Lifestyles) रखी गई है। इसका उद्देश्य सबके लिए सस्टेनेबल जीवन यापन सुलभ बनाना है।
दुनिया की 40% आबादी यानी 3 अरब से अधिक लोग स्वस्थ आहार का खर्च वहन नहीं कर सकते, लगभग 80 करोड़ लोग भूख के भीषण संकट का सामना कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ हर साल 93.1 करोड़ टन खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। खाद्य पदार्थों की बर्बादी आवश्यकता से अधिक उपभोग की निशानी है। लगभग एक-तिहाई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन खाद्य प्रणाली से ही आता है। यह खाद्य प्रणाली 80% से अधिक जैव विविधता नुकसान के लिए भी जिम्मेदार है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे बदलने के लिए उचित नीति के साथ टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के साथ लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है।
आगे चुनौती संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल की है। सतत विकास लक्ष्यों में 12वां लक्ष्य है खपत और उत्पादन का सस्टेनेबल तरीका सुनिश्चित करना। यह मौजूदा और भावी पीढ़ियों की आजीविका सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है। उपभोक्ता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में शक्तिशाली माध्यम बन सकता है। वह उपभोग का तरीका बदलकर कंपनियों को भी सस्टेनेबल तरीके अपनाने पर मजबूर कर सकता है। अध्ययन बताते हैं कि उपभोग पैटर्न में बदलाव किया जाए तो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 70% तक कम हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता को नुकसान और प्रदूषण नियंत्रित करने में सस्टेनेबल उपभोग क्या योगदान कर सकता है, यह पूछने पर सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) में जलवायु, पर्यावरण और सस्टेनेबिलिटी के सीनियर एसोसिएट कुणाल जगदाले जागरण प्राइम से कहते हैं, “जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करने वाली कार्य-कारण श्रृंखला में उपभोग एक महत्वपूर्ण कड़ी है। हमारे इस्तेमाल के हर प्रोडक्ट के लिए प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है और उसकी पूरी वैल्यू चेन में उत्सर्जन होता है। सस्टेनेबल उपभोग का मतलब है बुनियादी जरूरत के अनुसार प्रोडक्ट और सेवाओं का उचित इस्तेमाल। इससे उत्सर्जन कम करने में मदद मिलती है। संसाधनों की कम बर्बादी से क्वॉलिटी ऑफ लाइफ भी सुधरती है।”
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