जातीय रैलियों पर लगा बैन तो कांग्रेस ने निकाला नया रास्ता, तैयार किया खाका; क्या है स्ट्रेटजी?
जाति आधारित राजनीति को रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा जातीय रैलियों पर रोक के बाद कांग्रेस ने जातियों में पैठ बढ़ाने के लिए नया तरीका अपनाया है। कांग्रेस ओबीसी और दलित वर्ग की प्रमुख जातियों से संबंधित मुद्दों पर सम्मेलन करेगी। इसकी शुरुआत 14 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर में जाटों के बीच किसानों की मांगों पर चर्चा से होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जाति आधारित राजनीति को हतोत्साहित करने के लिए जातीय रैलियों पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद विपक्षी दल नए तौर-तरीके अपना रहे हैं। उत्तर प्रदेश में दशकों से अस्तित्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस की मजबूत पकड़ चूंकि अब किसी भी विशेष जाति-वर्ग में दिखाई नहीं देती है, इसलिए रणनीति अब यही है कि कैसे भी जातियों में पार्टी की पैठ को बढ़ाया जाए।
इसके लिए रणनीतिकारों ने अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित वर्ग की कुछ प्रमुख जातियों को चिन्हित कर उनसे संबंधित मुद्दों और पेशागत समस्याओं पर सम्मेलन करने की योजना बनाई है।
14 अक्टूबर को पश्चिमी उप्र के मुजफ्फरनगर में जाटों के बीच किसानों की मांगों पर चर्चा से इसकी शुरुआत प्रस्तावित है। कुछ समय पहले तक जातीय राजनीति पर सिर्फ क्षेत्रीय दलों का आधार टिका था, लेकिन सामान्य वर्ग की तरह ओबीसी और दलित वर्ग पर भाजपा की पकड़ मजबूत होने के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी राजनीति को ही जाति पर केंद्रित कर लिया।
कभी सपा और राजद जैसे क्षेत्रीय दल जाति आधारित जनगणना की मांग पुरजोर ठंग से उठाते थे, उस मुद्दे को राष्ट्रीय फलक पर उठाकर राहुल गांधी ने एक तरह से सहयोगी विपक्षी दलों से इसकी झंडाबरदारी छीन ही ली।
यह दीगर बात है कि मोदी सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लेकर इस मुद्दे पर विपक्ष की मेहनत को पूरी तरह बेअसर करने का प्रयास किया है। मगर, कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि खास तौर पर यूपी में अपनी जड़ें फिर जमानी हैं तो जातीय राजनीति की राह पर ही कदम बढ़ाने होंगे।
इधर, योगी सरकार ने जाति आधारित रैलियों पर लगाई तो कांग्रेस ने नया तरीका खोज लिया है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि कांग्रेस जाति की बात नहीं करेगी, बल्कि उनसे संबंधित विषयों को चिन्हित कर विषय आधारित सम्मेलन करने की योजना है।
उन्होंने बताया कि ऐसा पहला सम्मेलन 14 अक्टूबर को जाट बहुल मुजफ्फरनगर में प्रस्तावित है। यही वह अंचल है, जो कि किसान आंदोलन से तपा था। यहां किसानों की बात, मतलब जाटों की बात मानी जा सकती है।
इसी तरह से पार्टी के संबंधित जाति-वर्ग के नेताओं को लगाया है कि वह उनके संबंधित पेशागत या सामाजिक मुद्दों को सूचीबद्ध करें। उसी के अनुसार आगे के कार्यक्रम श्रंखलाबद्ध तरीके से किए जाएंगे। पूरा खाका तैयार होने के बाद इन आयोजनों की अधिकृत रूप से घोषणा की जाएगी।
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