'तो भाजपा को मिलेगी मजबूती...', थरूर के बाद कांग्रेस के इस नेता के भी बदले सुर, ट्रंप का भी किया जिक्र
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने पी. चिदंबरम के 26/11 हमले पर दिए गए बयान की आलोचना की है। अल्वी ने कहा कि चिदंबरम का यह कहना कि सरकार अमेरिकी दबाव में थी भाजपा को मजबूत करेगा। उन्होंने सवाल उठाया कि चिदंबरम ने यह बात 16 साल बाद क्यों कही। अल्वी ने चिदंबरम की मंशा पर संदेह जताते हुए कहा कि वह भाजपा को मजबूत करना चाहते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य राशिद अल्वी ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर तीखा हमला बोला। कहा- उन्होंने पूर्व संप्रग सरकार को निशाना बनाकर भाजपा को मजबूत किया है।
यह आलोचना चिदंबरम के उन बयानों के बाद आई है, जिसमें उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद सरकार के निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में बात की थी।एक हालिया साक्षात्कार में, चिदंबरम ने कहा था कि उन्होंने उस आतंकी हमले के समय पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया था, लेकिन उन्हें कूटनीतिक चैनलों पर भरोसा करने के लिए कहा गया।
अमेरिकी दबाव में काम कर रही थी सरकार
उन्होंने बताया कि अमेरिका से आए अंतरराष्ट्रीय दबाव ने भारत की संयमित प्रतिक्रिया को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।अल्वी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा- ''चिदंबरम कह रहे हैं कि सरकार अमेरिकी दबाव में काम कर रही थी? ऐसा बयान केवल भाजपा को लाभ पहुंचाएगा। चिदंबरम यह दावा 16 साल बाद क्यों कर रहे हैं? यदि चिदंबरम उस समय निर्णय से असहमत थे तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था।''
कांग्रेस के लोग पार्टी को कमजोर करना चाहते
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के भीतर कई लोग पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं। यह अपने ही दीपक से घर में आग लगने के समान है। पूर्व राज्यसभा सदस्य ने चिदंबरम की मंशा पर संदेह जताते हुए कहा- ''16 साल बाद ऐसा बयान देने का क्या मतलब है? वह यह साबित क्यों करना चाहते हैं कि यूपीए सरकार अमेरिकी दबाव में काम कर रही थी? इसका मतलब है कि वह भाजपा को मजबूत करना चाहते हैं।''
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने चिदंबरम के बयानों पर संदेह व्यक्त किया और कहा, ''मुझे नहीं लगता कि चिदंबरम ऐसा बयान दे सकते हैं।''
मनमोहन सिंह से की थी चर्चा
साक्षात्कार में, तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा था- ''मेरे मन में यह विचार आया था कि हमें कुछ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। मैंने इसे लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य महत्वपूर्ण लोगों के साथ चर्चा की थी। कुल मिलाकर निष्कर्ष मुख्य रूप से विदेश मंत्रालय और आइएफएस द्वारा प्रभावित था कि हमें स्थिति पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, बल्कि कूटनीतिक साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए।'' उन्होंने याद किया कि उस समय की अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस दिल्ली आई थीं और उन्होंने उनसे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर भारत से किसी भी सैन्य प्रतिशोध से बचने का अनुरोध किया था।
इनपुट- पीटीआई
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